प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने ख़िताब में दज्जाल से डराया मुस्लिम समुदाय के लिए जुमे के आदाब और आचार डॉ एम ए रशीद , नागपुर
( गतांक से आगे) दज्जाल के बारे में बहुत से मत हैं , उनमें से एक मत के अनुसार दज्जाल एक आदमी ही होगा, दूसरा मत यह है कि दज्जाल वैश्विक व्यवस्था को दर्शाता है । जो भी हो उसके बारे में हर एक पैग़ंबरों ने अपनी उम्मत को उसके फ़ितनों से डराया है । इस के संबंध में हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि से रिवायत है कि पैग़ंम्बर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि "मैं भी तुम को दज्जाल से डराता हूं और हर पैग़ंबर ने अपनी उम्मत को इससे डराया है। मगर मैं इसकी एक निशानी तुम को बता देता हूं जो किसी पैगंबर नहीं बताई होगी, वह निशानी यह है कि वह मरदूद एक आंख से काना, होगा" ।
दज्जाल के फ़िल्ने के तीन चिन्ह हैं, उसमें पहला यह कि हक़ और बातिल यानी कि सच और झूठ में फर्कं और पहचान खत्म हो जाएगी , फिर बातिल को हक़ और झूठ को सच में विश्वास, प्रत्यय , बावर करवाया जाएगा और उसके बाद कुछ बातिल पर जबर अमल और हक़ पर अमल से बिल जबर मना किया जाएगा । फिल्ने के ये तीन चिन्ह इस से पहले भी लोगों को आंशिक रूप से ऐसा वातावरण देखने में आया भी है। लेकिन भविष्य में अब ये तीनों चिन्ह एकजुट होकर विश्व को अपनी लपेटा में दो लेंगे ।
दज्जालु के बारे में यह भी बताया जाता है कि इसका कद ठिगना होगा, दोनों पैर टेढ़े होंगे , शरीर पर बाल बहुत अधिक संख्या में होंगे , वह सांवला या लाल (गंदुमी / सुर्ख़) रंग का होगा , उसकी नाक चोंच की तरह होगी, बायी आंख से काना भी होगा । इसके माथे पर काफ़िर (अ़रबी ज़ुबान) में लिखा होगा, जिस पढ़ा जा सकेगा। इसकी आंख सोई होगी, मगर दिल जागता रहेगा । शुरुआत में ईमान का दावा लेकर उठेगा लेकिन जैसे ही उस के अनुयाइयों में जब बढ़ोतरी होगी तो न ऊ ज़ु बिल्लाह वह नबुवत और ख़ुदाई का दावा कर उठेगा । वह पक्का झूठा और बहुत बड़ा धोखेबाज़ होगा। इसके पास अनाज के ढ़ेर और पानी की नहरें होंगी। ज़मीन में दफ़न तमाम ख़ज़ाने बाहर निकल कर शहद की मक्खियों की तरह इसके साथ हो लेंगे । जो क़बीला उसकी ख़ुदाई पर ईमान लाएगा दज्जाल उस पर बारिश बरसाएगा जिसकी वजह से खाने पीने की चीज़ें उबल पड़ेंगी , झाड़ों पर फल आ जाएंगे। वह कुछ लोगों से आकर कहेगा अगर मैं तुम्हारे माँ बाप को ज़िंदा कर दूं तो क्या तुम लोग मेरी ख़ुदाई का इक़रार करोगे लोग इस बात में जवाब देंगे हां ! हम तुम्हारी . खुदाई का इकरार करेंगे ! दज्जाल के शैतान इन लोगों के मां बाप की सूरत व शकल लेकर प्रकट होंगे , परिणाम स्वरूप बहुत से लोग ईमान से हाथ धो बैठेंगे।
हज़रत अबू उमामा बाहिली रज़ि फ़रमाते हैं कि एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हम लोगों में बयान फ़रमाया । इस बयान में आपने ज़्यादातर दज्जाल के बारे में बातें फ़रमाई और जब दज्जाल का ज़िक्र शुरू हुआ तो फिर आख़िर तक उसी के बारे में बात-चीत करते रहे। उस दिन आपने जो कुछ हम से फ़रमाया, उसमें यह भी था कि अल्लाह ने जो भी नबी भेजा, उसने अपनी उम्मत को दज्जाल से ज़रूर डराया और मैं आख़िरी नबी हूं और तुम आखिरी उम्मत हो और दज्जाल वह यक़ीनन तुम में ही ज़ाहिर होगा। अगर मैं तुममें मौजूद हुआ और वह जाहिर हुआ तो मैं हर मुसलमान की तरफ़ से दलीलों से उसका मुक़ाबला कर लूंगा और अगर मेरे बाद तुम लोगों में ज़ाहिर हुआ तो फिर हर आदमी ख़ुद अपनी तरफ़ से उसका मुक़ाबला करे और अल्लाह ही हर मुसलमान का मेरी तरफ़ से ख़लीफ़ा है और दज्जाल इराक़ और शाम के दर्मियान एक रास्ते में ज़ाहिर होगा और दाएं – बाएं फ़ौज भेजकर फ़साद बरपा करेगा। ऐ अल्लाह के बन्दो ! जमे रहना, क्योंकि पहले तो वह कहेगा, मैं नबी हूं, हालांकि मेरे बाद कोई नबी नहीं आएगा, फिर वह कहेगा, मैं तुम्हारा रब हूं, हालांकि मरने से पहले तुम अपने रब को देख नहीं सकते और उसकी दोनों आंखों के दर्मियान काफ़िर लिखा हुआ होगा जिसे हर मोमिन पढ़ेगा, इसलिए तुम में से जो उस से मिले, वह उसके चेहरे पर थूक दे और सूरः कहफ़ की शुरू की आयतें पढ़े। वह एक आदमी पर ग़लबा पाकर पहले उसे क़त्ल करेगा और उसे ज़िंदा करेगा, लेकिन उसके बाद किसी और के साथ ऐसा नहीं कर सकेगा।
उसका दूसरा फ़ित्ना यह होगा कि उसके साथ जन्नत और दोज़ख़ होगी, उसकी दोज़ख जन्नत होगी और उसकी जन्नत दोज़ख़ होगी, इसलिए तुम में से जो उसके दोज़ख में डाले जाने की आज़माइश में पड़ा, उसे चाहिए कि वह अपनी आंखें बन्द कर ले और अल्लाह से मदद मांगे तो दोज़ख की आग उसके लिए ऐसे ठंडी और सलामती वाली हो जाएगी जैसे हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के लिए हो गई थी। उसका एक फ़िला यह भी होगा कि वह एक क़बीले के पास से गुज़रेगा, वे सब उस पर ईमान ले आएंगे और उसकी तस्दीक़ करेंगे तो वह उनके लिए दुआ करेगा तो उसी दिन उनके लिए आसमान से बारिश होगी और उसी दिन उनकी सारी ज़मीन सर सब्ज़ व शादाब हो जाएगी और उस दिन शाम को उनके जानवर चर कर वापस आएंगे तो वे बहुत मोटे हो चुके होंगे और उनके पेट खूब भरे हुए होंगे और उनके थनों में खूब दूध बह रहा होगा और वह दूसरे क़बीले के पास से गुज़रेगा, वे उसका इंकार कर देंगे और उसे झुठलाएंगे, तो वह उनके ख़िलाफ़ बद दुआ करेगा, जिससे उनके सारे जानवर मर जाएंगे और एक भी जानवर उनके पास नहीं रहेगा।
इस दुनिया में वह कुल चालीस दिन रहेगा, जिनमें से एक दिन एक साल के बराबर होगा और एक दिन एक महीने के बराबर है और एक दिन एक हफ़्ते के बराबर होगा और एक दिन आम दिनों जैसा होगा और उसका आखिरी दिन सराब की तरह बहुत मुख्तसर होगा । इतना मुख्तसर कि आदमी सुबह मदीने के एक दरवाज़े पर होगा और दूसरे दरवाज़े तक पहुंचने से पहले ही शाम हो जाएगी।
आदर्श साथियों यानी कि सहाबा किराम रज़ि० ने अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! इन छोटे दिनों में हम नमाज़ें कैसे पढ़ेंगे ? आपने फ़रमाया, आप इन छोटे दिनों में वक़्त का अन्दाज़ा लगाकर ऐसे ही नमाज़ें पढ़ लेना जैसे लम्बे दिनों में अन्दाज़े से पढ़ोगे ।