फिलिस्तीन गाज़ा पट्टी में कैसे सिमट कर रह गया!(मस्जिदे अक़्सा गोल्डन कलर की नहीं बल्कि सिलेटी कलर में है)द्वारा- कबीर ख़ान , नागपुर, ज़िला अध्यक्ष, वेल्फेयर पार्टी आफ इंडिया

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फिलिस्तीन गाज़ा पट्टी में कैसे सिमट कर रह गया!
(मस्जिदे अक़्सा गोल्डन कलर की नहीं बल्कि सिलेटी कलर में है)द्वारा — कबीर ख़ान , नागपुर, ज़िला अध्यक्ष, वेल्फेयर पार्टी आफ इंडिया

यह सोचने की बात है कि फिलिस्तीन के साथ इज़राइल के हो रहे युद्ध को फिलिस्तीन के नाम से न पुकार कर उसे गाज़ा के नाम से पुकारा जा रहा है। जबकि ऐसा हुआ करता था जब कोई देश किसी देश पर आक्रमण करते थे तो आक्रमण या युद्ध में उन देशों के नाम आते रहे , जैसे कि वर्तमान में रूस और युक्रेन के युद्ध में दोनों देशों के नाम लिये जाते हैं । लेकिन फ़िलिस्तीन के युद्ध में उसे गाज़ा और इजराइल का युद्ध क्यों कहा जा रहा है। यह सवाल फ़िलिस्तीन के साथ बहुत गहरा संबंध रखता है। पूरे मामले पर ध्यान देने से पता चलता है कि इज़रायल फ़िलिस्तीन के अस्तित्व को मिटाने पर तुला हुआ है । उसने फिलिस्तीन के विस्तृत भू-भाग पर क़ब़्ज़ा जमा रखा है कि फ़िलिस्तीन सिर्फ़ गाज़ा तक ही सीमित और सिमट कर रह गया है। इसलिए विशेष रूप से उसे फिलिस्तीन न कह कर गाज़ा कहा जा रहा है। फिलिस्तीन का बचा यह गाज़ा क्षेत्र 41 किमी लंबा और 6 तथा 10 किलोमीटर तक ही सीमित हों कर रह गया है । गाजा पट्टी के 5 प्रांत है ।इस सीमित क्षेत्र में लगभग 20 लाख लोग रहते हैं, इसमें 50 प्रतिशत के करीब बच्चे हैं, 70 प्रतिशत बेरोजगार युवा हैं। पिछले 16 वर्षों से जेल के रूप में क़ैद इस भू भाग में खानपान की वस्तुएं बाहरी इलाके से नहीं लाई जा सकतीं । पीने के पानी का भी भयंकर समस्याओं का सामना है , जिसमें 90 प्रतिशत लोगो को स्वच्छ पानी भी नसीब नहीं है ।

66 प्रतिशत‌ लोग शरणार्थी का जीवन जी रहे हैं। यहां इज़राइल ने फिलिस्तीनी गाज़ा पट्टी को को गुलाम बना रखा है , वह यहां खुलेआम अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उड़ता रहता है। गाज़ा विश्व का सबसे घनी आबादी वाला भू भाग है। यह गाजा पट्टी के नाम से जाना जाता है। गाज़ा पट्टी इज़राइल, भूमध्य सागर और मिस्र से घिरा हुआ है। इसकी सीमाओं को इज़राइल ने घेर रखा है। पानी , बिजली,के लिए इज़राइल की सहमति अति आवश्यक होती है।
फ़िलिस्तीन का सिमटना रातों रात नही हुआ। यह प्रमाणिक जानकारी है कि 20 वीं सदी के आरंभ तक यह सल्तनते उस्मानियां का हिस्सा था । यहा मुसलमान, ईसाई और यहूदी आबाद थे। इसी समय जायनिस्ट मूवमेंट की नींव रखी गई थी। यह ऐसा मूवमेंट था जिसका उद्देश्य पूरी दुनिया के यहूदियो को एक यहूदी राज्य में स्थापित करने हेतु एक जुट करना था। अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए फिलिस्तीन राष्ट्र को चुना गया। यह स्थान यहूदियों के लिए द होली लेंड कहलाती थी। यहूदियों के अनुसार यही वह लेड आफ केनान थी जहां खुदा की ओर से यहूदियों पर शरियत लागू की गई गई थी। इस प्रकार विश्व के बड़ी संख्या में यहूदियों ने इस दिशा की ओर आना आरंभ किया ।
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद सल्तनते उस्मानिया का खात्मा हुआ । इसके पश्चात फ़िलिस्तीन ब्रिटेन के अधीन हो गया। 1917 के दौरान ब्रिटेन ने यहूदियों के एक राष्ट्र की स्थापना के लिए समर्थन किया , तत्पश्चात फिलिस्तीन में यहूदी आबादी में बढ़ोत्तरी होने लगी। साथ ही यहूदियों और अरबों में नोंक झोक बढ़ने लगी। यह स्थिति युद्ध में बदल गई। ऐसी दशा में ब्रिटेन को पीछे हटना पड़ा । स्थिति को देखते हुए यूनाइटेड नेशन ने फ़िलिस्तीन को अपने नियंत्रण में ले लिया। यूनाइटेड नेशन ने फ़िलिस्तीन को दो भागों में विभाजित करने की योजना बनाई और उसे हरी झंडी भी दिखा दी।
अरब फिलिस्तीन और यहूदी इज़राइल में विभाजित करने की योजना को स्वीकृति दे दी गई। यह बात ध्यान देने योग्य है कि यरुशलम यहूदी, ईसाईयों और मुसलमानों के लिए पवित्र स्थान था । इसे युनाइटेड नेशन्स के अधीन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का दर्जा भी दे दिया गया। युनाइटेड नेशन के इस विभाजन योजना को यहूदियों की ओर से स्वीकार कर लिया गया । इस प्रकार 14 मई 1939 को यहूदी राष्ट्र अस्तित्व में आया।
फिलिस्तीन राष्ट्र से लगे मुस्लिम देशों ने यूनाइटेड नेशन के इस फैसले को स्वीकार नहीं किया। अब इस के परिणाम स्वरूप अरब इजराइल युद्ध आरंभ हो गया। इजराइल इस युद्ध में जीत गया। इसके बाद इज़राइल ने उन क्षेत्रों पर नियंत्रण कर अपना अधिपत्य जमा लिया, जिनको युनाइटेड नेशन के प्लान में फिलिस्तीन में शामिल किया गया था।
इन परिस्थितियों के चलते फिलिस्तीन तीन भागों में विभाजित हो गया। वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम पर जार्डन और
गाज़ा पर मिस्र का नियंत्रण हो गया। फिलिस्तीन के 78% का क्षेत्र जिसमें पश्चिमी यूरूशलम भी शामिल है इसपर इज़राइल ने अपना कब्ज़ा जमा लिया । परिणाम स्वरूप 7 लाख फ़िलिस्तीनी बेघर हो गए। इस दर्द भरी दास्तां को अल नक्बा यानी कि तबाही के नाम से याद किया जाता है। वेस्ट बैंक का क्षेत्रफल 5860 वर्ग किलोमीटर है, और यहां 30 लाख की आबादी रहती है। इसके अन्तर्गत पूर्वी यरुशलम आता है। पूर्वी यरुशलम पर भी इज़राइल का कब्जा है।पूर्वी यरुशलम में ही अल अक्सा सिलेटी कलर की मस्जिद है।यहीं से रहमतुललिल आलमीन हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मेराज का सफ़र किया था । यह मुस्लिम संप्रदाय का पहला क़िब्ला रहा है , पहले मुसलमान इसी ओर चेहरा कर नमाज़ पढ़ा करते थे। यह मस्जिदे अक़्सा मुस्लिम संप्रदाय का पवित्र स्थान है । गोल्डन मस्जिद बना कर इस मस्जिदे अक्सा के साथ भ्रम की स्थिति बन रही है।
1967 में दोबारा अरब राष्ट्रों का यह युद्ध इज़राइल से हुआ। यह युद्ध 6 दिनों तक चला । इस युद्ध में भी इज़राइल को जीत मिली। इस के बाद फ़िलिस्तीन के मानचित्र पर इज़राइल का आधिपत्य हो चुका था। जब स्थिति में कुछ नियंत्रण आया तो यहूदियों ने ग़ाज़ा और वेस्ट बैंक में स्थानांतरित होना शुरू कर दिया और वहां अपनी आबादी बसाने लगे । इसके विरोध में फ़िलिस्तीनियों की प्रतिक्रिया सामने आई। पी एलओ इसी का परिणाम था। इस का उद्देश्य फिलिस्तीन को इजराइल की गुलामी से स्वतंत्रता दिलाना था। यह युद्ध कई वर्षों तक चला। परिस्थियों को देखते हुए पी एल ओ ने इज़राइल के साथ क्षेत्र को विभाजित करने का निर्णय लिया । यहूदी फिर फ़िलिस्तीन में आबाद होने लगे। युनाइटेड नेशन ने इज़राइल की इस गतिविधि को गैर कानूनी बताया फिर फ़िलिस्तीन में बगावत का जन्म हुआ और हमास अस्तित्व में आया। जो कि ग़ाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक पर इज़राइल की बलात् आबादी बसने के विरोध मे उसकी यह राजनैतिक हैसियत थी।
1993 को अमेरिका इजराइल और पी एल ओ की ओर से ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर हुए, फिर वेस्ट बैंक को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया। एरिया ए को पूरी तरह से फिलिस्तीन राष्ट्र में रखा गया। एरिया बी को संयुक्त रूप से फिलीस्तीन इज़राइल के कब्जे में दिया गया। एरिया सी को पूरी तरह से इज़राइल के क़ब्ज़े में दे दिया गया।
एरिया सी जो इज़राइली क़ब्ज़े में गया उसमें कृषि भूमि का बहुत बड़ा क्षेत्र , पानी और मिनिरल संसासाधन थे । फिलिस्तीन क्षेत्रों में ऐसे संसाधन न के बराबर रह गये थे। इस प्रकार इज़राइल ने फिलिस्तीन को बहुत ही समस्याओं से दो-चार कर दिया फिर उसने जगह-जग‌ह चेक पोस्ट और दीवारें बना डालीं और इज़राइली सैनिकों को तैनात कर दिया।
2005 में इज़राइल ने गाज़ा को छोड़ दिया लेकिन वेस्ट बैंक मे बस्तियो बसाने का सिलसिला जारी रखा। फिलिस्तीनी शासन से हमास अलग हो गया। वेस्ट बैंक और गाज़ा में दो अलग-अलग सरकारें थीं। धीरे धीरे इज़राइल का आधिपत्य बढ़ते जाने से उसने ग़ाज़ा का घेराव कर लिया। उसने ग़ाज़ा का हर एक प्रकार का ज़मीनी और हवाई रास्ता बंद कर दिया ।
6 दिसंबर 2017 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इज़राइल की राजधानी स्वीकार कर लिया और अमरीकी दूतावास को तेलअवीब से यरुशलम् स्थानांतरित कर दिया। ऐसी गतिविधियां यूनाइटेड नेशन के समझौते के बिल्कुल विरुद्ध थीं । 2020 में फिलिस्तीन की वास्तविक स्थिति गाज़ा पट्टी के रूप में दिखाई देने लगी। उसका मानचित्र ऐसी दशा प्रस्तुत करता है जिसमे गाजा एक जेल की तरह दिखाई देता है। देखा जाए तो यही फ़िलिस्तीन है जिसे गाज़ा कहा जा रहा है।