नागपुर/ ट्रैफिक पुलिस पर स्कूल वैन चालक ने लगाया अवैध वसूली का गंभीर आरोप, हमारे क्षेत्र में गाड़ी चलानी है तो देनी होगी एंट्री?

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नागपुर/वैसे तो ट्रैफिक पुलिस की तैनाती यातायात को सुगम बनाए रखने के लिए की जाती है। लेकिन अपने शहर में फोकस तो महज वसूली पर ही होता है।

यशोधरा नगर थाना अंतर्गत कैंसर हॉस्पिटल चौक पर बार-बार की वसूली से परेशान आकर वाहन चालक ने ट्रैफिक पुलिस के जवानों का वीडियो बनाकर वायरल किया, वाहन चालक स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का कार्य करता है, वाहन चालक गिट्टी खदान थाना क्षेत्र का रहवासी और वह इसी क्षेत्र के बच्चों को स्कूल से लाना ले जाना करता है, और संबंधित ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारियों(गिट्टी खदान थाना क्षेत्र ट्रैफिक विभाग से जुड़े) को हर महा एंट्री के पैसे देता है. एंट्री के पैसों की रकम 500 से ₹1000 तक होती है। वैन चालक के अनुसार इस तरह की एट्री अमूमन सभी स्कूल वैन चालकों को संबंधित क्षेत्र के ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी को देनी होती है. वाहन चालक के अनुसार एंट्री का खेल कोई नया नहीं है एंट्री का खेल काफी पुराना है. अगर वैन चालक एंट्री नहीं देगा तो उसे तरह-तरह से परेशान किया जाता है!

वाहन चालक का कहना है कि हमें हर साल गाड़ी के पेपर बनाने होते हैं जिसमें हमें ₹40000 का खर्च आता है. हमारे गाड़ी के पेपर पूरी तरह से ओके रहते हैं उसके बाद भी हमें ट्रैफिक पुलिस को एंट्री देना पड़ता है नहीं देंगे तो हम संबंधित क्षेत्र में गाड़ी नहीं चला सकते संबंधित क्षेत्र की ट्रैफिक पुलिस इतने चालन बना देगी कि भरना मुश्किल हो जायेगा.

वैन चालक द्वारा वायरल किया गया वीडियो


अगर वैन चालक दूसरे क्षेत्र में जाता है तो.?

वही वैन चालक दूसरे क्षेत्र में जाता है तो उसे उस क्षेत्र के ट्रैफिक पुलिस के जवान एंट्री का पैसा मांगते हैं. उन्हें पता होता है कौन एंट्री देता है? किस की इंट्री आई? और कौन एट्री नहीं दे रहा?

नहीं देने पर तरह-तरह के चालान बनाने का डर वैन चालकों को दिखा कर डराया जाता है.और अवैध वसूली की जाती है। वाहन चालक ने बताया कि इसी तरह की अवैध वसूली इंदौरा चौक पर भी की जाती हैl

जबकि वाहन चालक हर महीने की इंट्री संबंधित क्षेत्र के ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारियों को देता है वह वसूली से कितना त्रस्त हुआ होगा कि वीडियो बनाकर वायरल किया, अब सवाल यह उठता है कि इस तरह से खुलेआम वसूली की जा रही है तो ट्रैफिक पुलिस के आला अधिकारियों का ध्यान इस ओर अब तक कैसे नहीं गया? या आला अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देना चाहते?