नागपुर – पेरेंटिंग एक चैलेंज है। स्ट्रेस के कारण बच्चों से उपयुक्त व्यवहार नहीं हो पाता । डिजिटल दौर है । माता-पिता स्क्रिप्ट राइटर की हैसियत रखते हैं। माता-पिता द्वारा बचपन में निभाई जाने वाली भूमिका से बच्चे बड़े हो कर उसी भूमिका में ढल जाते हैं। बच्चों के प्रशिक्षण में माता-पिता की भाषा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बातचीत से ही बच्चों का दिमाग विकसित होता है। इस दुआ के साथ कि “ऐ हमारे पालनहार! हमें हमारी पत्नियों तथा संतानों से आंखों की ठंडक प्रदान कर और हमें आज्ञाकारियों का अग्रणी बना दे” की दुआ के साथ अमीनुल हसन , वाइस प्रेसिडेंट, जमाअ़त ए इस्लामी हिंद ने “डिजिटल युग में माता-पिता द्वारा बच्चों का प्रशिक्षण” विषय पर आयोजित कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त किए । यह कार्यशाला जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपुर की महिला विभाग द्वारा महिलाओं के लिए सदर में स्थित अंजुमन इंजीनियरिंग के ऑडिटोरियम में आयोजित की गई थी ।
इस विषय पर उन्होंने आगे कहा कि बच्चे माता-पिता के लिए अल्लाह की अमानत हैं। माता-पिता को उनकी शारीरिक, सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक कौशल विकसित करने में सहायता करनी चाहिए। माता-पिता का भलीभांति सोच समझकर और बेसुध,बेसोचे-समझ किया जाने वाला व्यवहार बच्चों को प्रभावित करता है।
बच्चों को प्रशिक्षित करने और उनकी क्षमताओं को विकसित करने में चार कारगर शैलियां होती हैं। सामरिक – व्यवहार कुशल शैली में बच्चों से उच्च अपेक्षाएं रखी जाती हैं और इसमें सख़्त नियम कानून अपनाए जाते हैं। आज्ञाकारी शैली में माता-पिता बच्चों से विरोध और मतभेद नहीं करते और न ही किसी तरह की मांग करते हैं। ऐसे बच्चे किसी की परवाह नहीं करते।
लापरवाह , उपेक्षात्मक शैली में बच्चे की उपेक्षा की जाती है और उनकी ज़रूरतों को नहीं समझ जाता ।माता-पिता की उपेक्षाओं के कारण ऐसे बच्चे अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं वे उनसे अपने अनुभव भी साझा नहीं करते।
सहानुभूतिपूर्ण शैली के अंतर्गत माता-पिता नियमों और विनियमों के अनुसार बच्चों को प्रशिक्षित करते हैं । बच्चों से कम उम्मीदें रखते हैं, बच्चों से अच्छी तरह से संवाद करते हैं और हर समय उनके साथ होते हैं। ऐसे बच्चे आत्मविश्वासी, आज्ञाकारी और सामयिक वातावरण के अनुकूल होते हैं।
इस संबोधन के पश्चात विषय से संबंधित सत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण प्रश्नों के संतोषप्रद उत्तर दिए गए ।
महिला विभाग की शहर अध्यक्ष डॉ. सबीहा खान ने जमाअ़त ए इस्लामी हिंद का परिचय देते हुए कहा कि हमारा केडर जन सेवाओं , सुविधाओं के साथ इस्लाम की बुनियादी जानकारी देने में अग्रणी भूमिका निभाता है। इस्लामी समाज के तहत मुस्लिम परिवारों को पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना, विधवाओं और अनाथों की सहायता करना , बच्चों को छात्रवृत्ति और रोगियों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
ज़ेबा ख़ान ने एस.अमिनुल हसन का परिचय दिया । कार्यशाला का आरंभ क़ुर्रतुलऐन बुशरा ने सूरह तहरीम की पंक्ति क्र 6 “अपने आप को और अपने परिवार को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन इंसान और पत्थर हैं” का अनुवाद सहित पठन किया। डॉ शिरीन तरन्नुम ख़ान ने मंच संचालन किया। कार्यक्रम में अत्यधिक संख्या में महिलाएं और बच्चियां हिजाब के साथ उपस्थित थीं। माज़ मुदस्सिर बच्चे ने पुष्प गुच्छ और शाल भेंट कर अमीनुल हसन साहब का स्वागत किया।
रुमाना क़ौसर ने दुआ़ के साथ आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।
डॉ एम ए रशीद
मीडिया सेक्रेटरी
जानकारी जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपुर