नागपुर/अल्प संख्यक समाज में शिक्षा का प्रचार प्रसार हो, पालकों को प्रोत्साहन मिले,
पालकों का वित्तीय भार कम हो,छात्र की उपस्थिति में सुधार हो इत्यादि उद्देश से मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति योजना
केन्द्र सरकार ने सन् 2008_09 से सम्पूर्ण भारत मे लागू किया। जिनकी पारिवारिक आय वार्षिक रुपए
एक लाख से कम है ऐसे परिवार का इस योजना में समावेश किया गया।यह योजना मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन एवम् पारसी समाज को लागू कि गई। सभी अल्प संख्यक समाज के लिए कुल 30 लाख छात्र वृत्ति का कोटा निश्चित किया गया दूसरे शब्दो मे सभी प्रवेशित छात्र ओ को ये शिष्य वृत्ति नही मिलती। समय के साथ आय सीमा तथा छात्र वृत्ति की राशी में वृध्दि होगी ऐसी उम्मीद थी किन्तु केन्द्र सरकार ने इसे 1ली से 8वी तक के लिए रद्द कर के गलत
निर्णय लिया है। इस के कारण अल्प संख्यक समाज में शिक्षा का प्रचार प्रसार बाधित होगा।
इसे रद्द करने का सरकार ने जो कारण बताया है वो हास्यपद है। सरकार ने कहा कि आर टी ई मे इन्हे फ्री प्रवेश मिलता है इस कारण इसे रद्द कर रहे है। वास्तविक
आर टी ई मे सभी भारतीय समाज के गरीब छात्र ओ को
25% कोटा में प्रवेश दिया जाता है। प्राय अधिकतर अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों मे
छात्र ओ को यह लाभ मिलता है। अल्प संख्यक समाज के गरीब छात्र बड़ी संख्या मे मातृभाषा वाली स्कूलों मे प्रवेश लेते है। नई
शिक्षा नीति मे प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा मे शिक्षा देने पर जोर दिया गया है और दूसरी तरफ केन्द्र सरकार ने यह निर्णय संविधान की मूल भावना के विरुद्ध लिया है।
इस से अल्प संख्यक समाज
के करोड़ो गरीब छात्र शिक्षा से वंचित हो जायेगे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अल्प संख्यक विभाग के
पदाधिकारियों ने आयुक्त श्री
को निवेदन देते हुए केन्द्र सरकार से मांग कि है की यह निर्णय रद्द करते हुए
गरीब अल्प संख्यक छात्र वृत्ति को चालू रखे।