मुहम्मद साहब के पैग़ंबर बनने की निशानी और भविष्यवाणी ईसाई ग्रंथ में की गई थी — गोपलाजी शिगूरकर

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मुहम्मद साहब के पैग़ंबर बनने की निशानी और भविष्यवाणी ईसाई ग्रंथ में की गई थी — गोपलाजी शिगूरकर

नागपुर — पैगंबर साहब ने जब अल्लाह के आदेश पर पैग़ंबर होने का ऐलान किया तब उस समय बहुत सारी गलत आस्थाएं एवं मान्यताएं, घोर अपराध, अत्याचार, धोखाधड़ी आदि का बोल बाला था । उन्होंने 23 साल में पूरे अरब देश में शांति पैदा कर दी थी । ये विचार बतौर मुख्य अतिथि श्री गुरुदेव समभाव सेवा मंडळ के गोपलाजी शिगूरकर ( सर्वाधिकारी ) ने जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपुर नॉर्थ वेस्ट के तत्वावधान में आयोजित “पैगंबर परिचय कार्यक्रम” में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम झींगाबाई टाकली में स्थित दारुस्सलाम सभागृह में आयोजित हुआ था। उन्होंने आगे कहा कि अरब देश विश्व के मध्य में स्थित है, अल्लाह ने अपने अंतिम पैग़ंम्बर मुहम्मद साहब को वहां प्रकट किया था ताकि पूरे विश्व मे अल्लाह के पैग़ाम को आसानी से पहुंचाया जा सके। बचपन के समय पैग़ंबर साहब अपने चाचा के साथ एक सफ़र पर थे तो रास्ते में एक ईसाई पादरी से उनकी भेंट हुई । ईसाई पादरी ने पैगंबर साहब के चाचा को बताया कि यह बच्चा बड़ा होकर पैग़ंबर बनेगा इसकी निशानी और

भविष्यवाणी हमारे ईसाई ग्रंथ में की गई है।
प्रोफेसर अय्यूब खान ने कहा कि कुरआन के अनुसार पैगंबर मुहम्मद साहब ने आदर्श जीवन जिया था । हमें उन गुणों से अवश्य परिचित होना चाहिए तथा उन गुणों को अपने जीवन में उतार कर हमें अपने कर्म से उन्हें सिद्ध करना चाहिए ।


नियाज़ अली ने अपने संबोधन में कहा कि पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम न केवल दार्शनिक , वक्त , आध्यात्मिक गुरु, और धर्म प्रचारक थे बल्कि आप बहुत बड़े समाज सेवक एवं समाज सुधारक भी थे । आप ने हमेशा सच बोलकर व्यापार किया और लोगों को ईमानदारी से व्यापार करना सिखाया । सेनापति के रूप में ऐसे युद्ध किए जिनमें अत्यंत न्यून संख्या में किसी की जान गई।आप बहुत बड़े दानवीर थे और आप जैसा कोई दयावान नहीं गुज़रा ।
मदीना हिजरत के 10 साल बाद जब पैग़ंबर साहब ने अपने शहर मक्का में विजय की हैसियत से प्रवेश किया था तो आपने आम माफ़ी दे कर हर उस व्यक्ति को क्षमा कर दिया था जिन्होंने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर घोर अत्याचार किए थे। आज हमें भी पैग़ंबर मुहम्मद साहब के आदर्शों का अनुकरण करने की आवश्यकता है। हमें भी बदले की भावनाओं की बजाय लोगों को क्षमा करना चाहिए । पैग़म्बर साहब की इन्हीं शिक्षाओं से विश्व में अमन और शांति लाई जा सकती है।
कार्यक्रम का आरंभ क़ुरआन पठन से एडवोकेट राशिद अबुल फ़ज़ल
ने किया था। मंच संचालन प्रोफेसर शमीम नवाब ने तथा रमीज़ अहमद ने आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम में अत्यधिक संख्या में लोग उपस्थित थे।