उर्स को वास्तव में सांप्रदायिक सौहार्द और विश्व शांति का संदेश देने वाला माना जाता है. यह एक तरह से कौमी एकता की मिसाल है.
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 811 वा उर्स ए मुबारक के मौके पर अहले मोमिनपूरा वनी की जानिब से बड़ी धूमधाम से संदल निकाला गया संदल में बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की. संदल के इस मौके पर खाने का इंतजाम भी रखा गया था
राजस्थान के अजमेर शरीफ में गरीब नवाज के नाम से मशहूर हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 811वां उर्स-ए-मुबारक शुरू हो गया है. उर्स मूल रूप से अरबी भाषा का शब्द है. सीधे शब्दों में कहें, तो किसी सूफी संत की पुण्यतिथि पर जब कोई मेला आयोजित किया जाता है उसे उर्स कहते हैं.
उर्स को वास्तव में सांप्रदायिक सौहार्द और विश्व शांति का संदेश देने वाला माना जाता है. यह एक तरह से कौमी एकता की मिसाल है. उर्स के दौरान लाखों की भीड़ अजमेर पहुंचती है. उर्स के दौरान देशभर से हजारों जायरीन सूफी संत की दरगाह पर पहुंचते हैं और चादर व अकीदत के फूल पेश करते हैं.