बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव रद्द किया जाए ,
चिकित्सकों के क्लिनिक व्यवसायिक प्रतिष्ठान नहीं !
नागपुर - आधुनिक काल में बिजली हर एक इंसान की अति आवश्यक वस्तु बन गई है । किसी भी पल कोई उससे महरूम रहना नहीं चाहता। लेकिन जब बिल की अदायगी का समय आता है तो तनाव का सामना करना पड़ता है। निर्धन , मध्यम वर्ग और कम वेतनमान पर रोज़गार करने वालों को अधिक परेशानियां होती हैं । वे मंहगाई के बोझ से पहले से ही परेशान रहते हैं और बिजली बिल उनके लिए सिरदर्द खड़ा कर देता है। बिजली जैसी दैनिक आवश्यकता की वस्तु पर 37 से 45 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी इन्हें भारी संकट में बांध देगी। अप्रत्यक्ष रूप से इस बढ़ोत्तरी का दुष्परिणाम अन्य क्षेत्रों में भी दिखाई देगा।
महाजेनको को बिजली उत्पादन के लिए सब्सिडी पर कोयला उपलब्ध होता है। इसके बावजूद बिजली दरों में बढ़ोत्तरी पर सवालिया निशान लगते हैं। एमईआरसी और महाजेनको के अधिकारियों को जनहित सर्वोपरि रखना चाहिए। उन्हें मालूम होना चाहिए कि उपरोक्त वर्गों की हमेशा आशाएं बनीं रहतीं हैं कि बढ़ोतरी से कब छुटकारा मिलेगा। फिर हमारे ख़्वाब कब सच्चे होंगे कि दैनिक आवश्यकता की वस्तु बिजली बिना कटौती के निशुल्क मिलने लगे !
दूसरी ओर डॉक्टरों के क्लीनिक , जहां वे व्यावसायिक गतिविधि के अंतर्गत नहीं आते अर्थात व्यवसायिक प्रतिष्ठान बाबत 1977 के माननीय हाई कोर्ट के निर्णय को दूरदर्शिता के साथ मंथन करते हुए एमईआरसी और महाजेनको को इस ओर स्वयं संज्ञान लेने की आवश्यकता है। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के एक निर्णय में क्लिनिक को एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं बताया ग
इन संदर्भ में जमाअत ए इस्लामी हिंद नागपुर के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव डॉ एम ए रशीद और मेडिकल सर्विस सोसायटी नागपुर के अध्यक्ष डॉ नईम नियाज़ी ने मांग की है कि बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को तत्काल रद्द किया जाना चाहिए तथा चिकित्सकों और लिंक में वर्णित अव्यवसायिक लोगों को छूट प्रदान करने के आदेश शीघ्र जारी करना चाहिए जिनके अधिभार व्यवसायिक प्रतिष्ठान मान कर लिए जा रहे हैं।