रिलायंस इंश्योरेंस की मनमानी — ग्राहक अपने आप को ठगा महसूस कर रहा, टूटी गाड़ी देखकर भी कंपनी ने कहा ‘एक्सीडेंट नहीं हुआ’

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रिलायंस इंश्योरेंस की लापरवाही उजागर — ग्राहक की टूटी गाड़ी देखकर भी कहा ‘एक्सीडेंट नहीं हुआ’, अब सर्वेयर फोन तक नहीं उठाता; सवाल — अगर हादसा नहीं हुआ, तो मरघाट खुद कैसे टूट गया?


सब-हेडलाइन:

नागपुर के सैयद शोएब का गंभीर आरोप — 5 दिन बाद सर्वे करने आया रिलायंस इंश्योरेंस का सर्वेयर, रिपोर्ट में सच्चाई पलट दी। ग्राहक बोले — “हम ठगे गए हैं, अब कभी रिलायंस से इंश्योरेंस नहीं लेंगे।”
क्लेम नंबर: 3125343982


लीड:

रिलायंस इंश्योरेंस, जो अपने विज्ञापनों में “भरोसे” और “सुरक्षा” की बात करती है, उस पर अब गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
नागपुर के सैयद शोएब ने आरोप लगाया है कि उनकी टू-व्हीलर (रिलायंस इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत) का एक्सीडेंट हुआ था और सामने का मरघाट पूरी तरह टूट गया, लेकिन कंपनी के सर्वेयर ने रिपोर्ट में लिख दिया — “गाड़ी का एक्सीडेंट नहीं हुआ।”

क्लेम नंबर 3125343982 के तहत यह मामला दर्ज किया गया था। लेकिन अब, न केवल क्लेम खारिज किया गया है, बल्कि कंपनी का सर्वेयर ग्राहक और एजेंसी — दोनों के फोन उठाना भी बंद कर चुका है।


ग्राहक का बयान:

“अगर एक्सीडेंट नहीं हुआ, तो मरघाट अपने-आप कैसे टूट गया? क्या रिलायंस इंश्योरेंस के सर्वेयर को यह नहीं दिखता? लगता है कंपनी हमें बेवकूफ बना रही है।”
— सैयद शोएब, नागपुर


घटना का क्रम:

टू-व्हीलर का सामने का हिस्सा (मरघाट) हादसे में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ।

सैयद शोएब ने क्लेम नंबर 3125343982 के तहत इंश्योरेंस आवेदन दर्ज कराया।

सर्वेयर को आने में पूरे 5 दिन लगे।

सर्वे के बाद रिपोर्ट आई — “गाड़ी का एक्सीडेंट नहीं हुआ।”

अब सर्वेयर ग्राहक और एजेंसी — दोनों के कॉल का जवाब नहीं दे रहा।


ग्राहक की नाराज़गी:

“रिलायंस इंश्योरेंस सिर्फ प्रीमियम लेने में तेज़ है, लेकिन जब क्लेम की बारी आती है तो कंपनी गायब हो जाती है। अब भरोसा पूरी तरह टूट चुका है।”
— सैयद शोएब


ग्राहक ने बताया कि उसने ट्विटर और ईमेल दोनों पर कंपनी को शिकायत भेजी, लेकिन कंपनी ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया और न ही किसी तरह की कार्रवाई की।

जनता में सवाल:

क्या रिलायंस इंश्योरेंस का दावा केवल विज्ञापन तक सीमित है?
ग्राहकों से पैसा लेने के बाद क्या कंपनी उनकी मुश्किलों से आंख मूंद लेती है?
और सबसे बड़ा सवाल — अगर एक्सीडेंट नहीं हुआ, तो मरघाट आखिर टूटा कैसे?