ठंड के मौसम में मेडिकल सर्विस सोसायटी नागपुर ने लोगों के स्वास्थ्य पर चर्चा करने बैठक का आयोजन किया(“हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जब छींक आती तो अपना चेहरा मुबारक कपड़े से ढांप लेते और अपनी आवाज़ मुबारक को धीमा फ़रमा लेते”)

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ठंड के मौसम में मेडिकल सर्विस सोसायटी नागपुर ने लोगों के स्वास्थ्य पर चर्चा करने बैठक का आयोजन किया
(“हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जब छींक आती तो अपना चेहरा मुबारक कपड़े से ढांप लेते और अपनी आवाज़ मुबारक को धीमा फ़रमा लेते”)

नागपुर – “मेडिकल सर्विस सोसायटी नागपुर” के अध्यक्ष डॉ नईम नियाज़ी, सचिव डॉ. नुरुल अमीन और सदस्यों को लेकर “ठंड का मौसम में लोगों के स्वास्थ्य के प्रति एक बैठक ” गोरेवाड़ा रिंग रोड, पलोटी स्कूल के पास , समाज भूषण सोसायटी में स्थित डॉ मुबीन शेख़ के नूर हाउस में ली गई । इस बैठक में डॉ कशफ़द्दजा , डॉ अनवार सिद्दीकी, डॉ हसनुलबन्ना, डॉ इद्रीस शेख़, डॉ मुबीन शेख़ , डॉ. आसिफुज्ज‌मा ख़ान, डॉ ज़ुबैर क़ाज़ी, डॉ हारिस ख़ान, डॉ अदनानुल हक़, डॉ एम ए रशीद ने उपस्थिति दर्ज कराई। इसमें शहरवासियों को संदेश दिया गया ।
ठंड का मौसम आरंभ होते ही लोगों के पहनने-ओढ़ने और खाने-पीने की आदतों में बदलाव आने लगते हैं। इन दिनों में कुछ बीमारियां भी लोगों को अधिक तनावग्रस्त करने लगती हैं। चिकित्सकों को रोगियों के प्रति नई नई चुनौतियां मिलने लगती हैं। वे रोगियों को विशेषज्ञों की ओर रिफ़र करने लगते हैं। सामान्यतः इन दोनों में अक्सर सर्दी, गले में ख़राश,फ्लू, जोड़ों का दर्द, हाथ पैरों का ठंडे हो जाना, शुष्क त्वचा, होंठों पर और उसके आसपास छाले , उल्टी, दिल का दौरा , अस्थमा वग़ैरह इस मौसम की आम बीमारियों में गिनी जाती हैं।
खांसी और छींकों से पीड़ित रोगियों को रोग के प्रसार करने से बचना चाहिए। अपने पास हमेशा साफ-सुथरा रुमाल रख कर छींक और खांसी के समय नाक और मुंह को ढंकना चाहिए। इस प्रकार रोगी घर बाहर स्वस्थ व्यक्तियों में रोगाणुओं के प्रसार को रोक सकते हैं।
मुस्लिम समुदाय के जो लोग नमाज़ों की पाबंदी के साथ मस्जिदों में जाते हैं , यदि उन में जो भी फ्लू से पीड़ित हैं उन्हें इस दौरान इस हदीस की पाबंदी करना चाहिए जिसमें कि “हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जब छींक आती तो अपना चेहरा मुबारक कपड़े से ढांप लेते और अपनी आवाज़ मुबारक को धीमा फ़रमा लेते” थे।
गर्म कमरे से बाहर बहुत ठंडे वातावरण में जाने से भी गले पर असर पड़ सकता है और वायरस के कारण गले में ख़राश हो जाती है। उन्हें सुझाव दिया जाता है कि एक गिलास गुनगुने पानी में एक छोटा चम्मच नमक डालकर ग़रारे करने से कुछ राहत मिल सकती है।
सर्दियों में लोग डिप्रेशन के कारण कुछ ज़्यादा ही उदास रहते हैं । हल्के फुल्के व्यायाम उनकी उदासी दूर करने में सहायक हो सकती है।
इन दिनों हाथ-पैर, ख़ासकर उंगलियां ठंडे होने की शिकायत भी आम हो जाती है , इससे बचने के लिए गर्म दस्ताने और मोज़े सहायक होते हैं।
त्वचा को रूख़ेपन से बचाने के लिए कुनकुने पानी से नहाने के बाद त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना चाहिए।
उल्टी की स्थिति में शरीर में पानी और नमक की कमी को पूरा करने के लिए ओआरएस उपयोगी होता है।
ठंड के मौसम में हृदय को अधिक रक्त संचार करना पड़ता है। इसलिए, हृदय रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने शरीर को गर्म रखने के लिए गर्म कपड़ों का उपयोग आवश्यक रूप से करें।
ठंड के मौसम में अस्थमा के मामलों में भी बढ़ोतरी हो जाती है, रोगियों को ठंडी हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाता है । इन दिनों ऐसे रोगियों को विशेष सावधानियां बरतने की ज़रूरत होती है। इसलिए अगर बहुत ठंड है तो उन्हें घर पर ही रहना चाहिए। बाहर जाना बहुत ज़रूरी हो तो उन्हें अपनी नाक और मुंह को स्कार्फ़ से ढंक लेना चाहिए । यदि वे अस्थमा की दवा या पंप का उपयोग करते हैं, तो उन्हें इसका उपयोग जारी रखना चाहिए।
इन दोनों में कुछ रोगी अज्ञात कारणों से दर्द और जकड़न बढ़ने की शिकायत करते हैं। उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि इस मौसम में सिर्फ़ लक्षण बढ़ते हैं, बीमारी नहीं। उन्हें अपने चिकित्सक के बताए अनुसार दवाओं का सेवन नियमित रखना चाहिए। इसके पश्चात बैठक समाप्त हुई । यह जानकारी मेडिकल सर्विस सोसायटी नागपुर के मीडिया सेक्रेटरी डॉ एम ए रशीद ने दी।