फेडरेशन आफ आर्गेनाईज़ेशन फार सेक्यूलेरिज़्म सोशल जस्टिस एंड डेमोक्रेसी ने. “संविधान बचाव देश बचाओ” पर निकाली भव्य बाइक रैलीसंविधान बचाने का अंतिम प्रयास – प्रकाश पोहरे

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नागपुर — आज हमारा संविधान अत्यधिक संकट में दिखाई दे रहा है। देश में कुछ घटनाओं जो पिछले वर्षों से हो रही है उस कारण देशवासी अस्वस्थ हैं । आपकी उपस्थिति उसे दर्शाती है। संविधान को बचाने का यह अंतिम प्रयास है। इसके पश्चात जो कुछ होने वाला है और जो कुछ हो गया है वह भारत में आने वाले दिनों का सूचक है जैसे कि गुजरात बलात्कारियों का जेल से रिहाई के रूप में दिखाई दिया था । हमें गणतंत्र को बचाने के लिए आगे पड़ेगा। हम में से हर ए‌क समझदार यह सबकुछ जानता है। यहां एकत्रित भारी संख्या में उपस्थित जन समुदाय वही लग रहा है जिसे भविष्य की चिंता है और जो जागरूक है । हमें ईवीएम से नहीं बल्कि बैलेट पेपर से चुनाव चाहिए। आज की रैली का उद्देश्य बहुआयामी है। यह विचार प्रकाश पोहरे ने संविधान चौक पर व्यक्त किए।


रैली के मुख्य आयोजकों में से एक अमिताभ पावडे ने कहा कि वर्तमान बेरोज़गार युवाओं और बढ़ते अपराधों , महंगी होती स्वास्थ्य सेवाएं ऐसी अनेकों समस्याएं हैं जिनका समाधान प्रशासन संवैधानिक धाराओं से ले सकता है परंतु इन सब को बाज़ू में रखकर सत्ता के मोह में संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसी लिए आम आदमी को संविधान के मूलभूत सिद्धान्तों की रक्षा के लिए सड़क पर आना पड़ा।


इस अवसर पर एडवोकेट फ़िरदौस मिर्ज़ा ने कहा कि इस समय संविधान को बचाना नितांत आवश्यक है। समता, बंधुत्वता और न्याय लगातार कम होती जा रही हैं। हमें इन मूलभूत संवैधानिक अधिकारों के लिए जागृत होना चाहिए। डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर इन्ही तीनों मूलभूत तत्वों के आधार पर संविधान के मूल्यों का निर्धारण किया था और इन्हीं मूलभूत तत्वों की हमने रक्षा करनी होगी ।


डॉ अनवार सिद्‌दीक़ी ने कहा कि आज स्थिति ऐसी बन गई है कि संविधान एक भौतिक वस्तु बन कर रह गया है, इसकी आत्मा को गंभीर चोटें पहुंचा दी गई हैं, किसी प्रकरण में संवैधानिक प्रक्रिया समाप्त होती दिख रही है। किसी पर आरोप लगाकर बुलडोज़र से उसकी संपत्ति को ध्वस्त किया जा रहा है। हमें संविधान को पुनर्जीवित करने के लिए किसी राजनीतिक दल या किसी सरकारी संस्था पर निर्भर नहीं रहना है बल्कि आम आदमी को स्वयं अपनी क्षमता और अपने अधिकारों को जानकर संविधान की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।


जगजीत सिंह ने कहा की २२ जनवरी को एक धार्मिक कार्यक्रम जिस राजनेतिक साहस के साथ किया गया उस से धर्मनिरपेक्षता पर भय पैदा हो गया। जब मैं आंख बंद करता हूं तो किसानों की विपत्तियां , आत्महत्या, बढ़ती हुई बेरोज़गारी , महीला ओका शोषण,आदि दिखाई देती है, मुझे कहीं भी अच्छे दिन दिखाई नही देते बल्कि अफसोसनाक स्थितियां दिखाई देती है।
डाॅ विमल थोरात ने कहा कि, देशवासियों को बोलने की आज़ादी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं । महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रही हैं, राजकरण संस्थाएं निरंकुश हो कर रह गई है।

मराठा सेवा संघ के दिलीप ‌खोडके, प्रदीप नगरारे, अरविंद गेडाम,गौतम, कांबळे भोंगाडे, उषा बौध्द, प्रभु राजगडकर , सुनिता जिचकर , कल्पना मेश्राम आदि बहुत से मान्यवरों के अलावा संविधान के प्रति जागरूक लोगों ने अपनी स्वेच्छा से विचार व्यक्त किए ।
फेडरेशन आफ आर्गेनाईज़ेशन फार सेक्यूलेरिज़्म सोशल जस्टिस एंड डेमोक्रेसी में बानाइ, डॉक्टर बाबासाहब अंबेडकर संयुक्त नागरी जयंती, मराठा सेवा संघ , संभाजी ब्रिगेड ,जमाअ़त ए इसलामी हिन्द नागपुर , समता सैनिक दल, राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ, बानाई, ऑफीसर फोरम, अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, सद्भावना मंच,सखी मंच, आंबेडकर ॲगीकोज असो. आदि 80 से अधिक संगठनो ने संयुक्त रूप से “संविधान बचाओ देश बचाव” के तहत एक स्कूटर व कार रैली का आयोजन किया। यह रैली ‘नेशनल धनवटे कालेज के ग्राउंड से आरंभ होकर संविधान चौक पर समाप्त हुई।
फव्वारा चौक पर इस रैली का जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपूर की महिला और पुरुष कार्यकर्ताओं तथा अन्य मुस्लिम बंधुओं ने भव्य स्वागत किया । तत्पश्चात् वे इस में सम्मिलित हुए। रैली विभिन्न निश्चित मार्गों से होते हुए संविधान चौक पहुंची ।
पद्‌म पुरस्कार से सम्मानित डॉ सुखेदव थोरात (फार्मर चैयरमेन यूजीसी) ने हरी झंडी दिखाकर रैली आरंभ हुई थी । इस रैली की लंबाई 3 किलोमीटर से अधिक थी। अनुशासन का पालन करते हुए निकली इस भव्य रैली में हज़ारों की संख्या में लोग सम्मिलित थे।
इस कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन जगजीत सिंह तथा मंच संचालन- त्रिलोक हजारे (कोऑर्डिनेटर फेडरेशन ऑफ़ ऑर्गनाइजेशन फॉर सेकुलरिज़्म सोशल जस्टिस व डेमोक्रेसी) ने किया था।