नागपुर – आजकल लोग सामाजिक सद्भाव स्थापित करने को लेकर अत्यधिक चिंतित नज़र आ रहे हैं। इस संबंध में इस्लाम का सशक्त आदेश है कि देश की उन्नति तथा देशवासियों के जान-माल की रक्षा के लिए शांति का माहौल और शांतिपूर्ण व्यवस्था बहुत ज़रूरी है। निम्नतम स्तर की भी लापरवाही और आलस्य का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए । इस्लाम हिंसा की निंदा करता है. अहिंसा, सहिष्णुता, सद्भाव और आपसी सम्मान इसकी पहचान हैं। इस्लाम कहता है कि अल्लाह आक्रमणकारियों से नफ़रत करता है, इसलिए ऐसा मत बनो। आगे यह कि इस्लाम अपने अनुयायियों से क्षमा की बात करता है। मुसलमानों के लिए देशवासियों के साथ शांति, आपसी सम्मान घनिष्ट संबंधों की नींव की हैसियत रखते हैं।
इस तहत सांप्रदायिक सदभाव: क्यों और कैसे? विषय पर यह प्रेस कांफ्रेंस प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के साथ आज बैंक्वेट हॉल, हल्दीराम , डॉ मुंजे चौक में आयोजित की जा रही है। इसे जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपुर ने आयोजित किया था।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज़ियाउल्लाह ख़ान क़ुरआन पठन और मंच संचालन कर , डाॅ अनवार सिद्दीकी (पूर्व शहर अध्यक्ष) परिचय प्रस्तुत किया , प्रोफ़ेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर जो जमाअ़त ए इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष हैं , वे इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता थे और शहर के मीडिया सेक्रेटरी डॉ एम ए रशीद ये सभी मंच पर उपस्थित रहे ।
इस अवसर पर जमाअ़त ए इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रोफ़ेसर सलीम इंजीनियर ने लोगों से भारत में सांप्रदायिक सद्भाव को सुदृढ़ करने की अपील की है ।
मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए प्रोफ़ेसर सलीम इंजीनियर ने कहा कि “हमारा मानना है कि भारत में सांप्रदायिक सद्भाव को सुदृढ़ करना देशवासियों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। द्वेष भावना की राजनीति, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध लक्षित हिंसा की राजनीति चल रही है। इस कारण देश में अल्पसंख्यक समुदाय स्वयं को असुरक्षित प्रतीत कर रहे हैं। सांप्रदायिकता हमारे देश के आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा ख़तरा है , कुछ निहित स्वार्थी तत्व भावनात्मक नारों के माध्यम से अल्पसंख्यकों के विरुद्ध ध्रुवीकरण और द्वेष भावना फैला रहे हैं। दुर्भाग्यवश कई बार सरकार और कानून प्रवर्तन तंत्र हमारे देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने का प्रयास करने वालों के प्रसार और शक्ति को रोकने तथा उन पर नियंत्रण पाने के लिए त्वरित कार्रवाई करने में विफल है।”
जमाअ़त ए हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि “भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों में हमने समानता, स्वतंत्रता, भाईचारे और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित एक बहु-सांस्कृतिक, बहु-धार्मिक और बहुभाषी गणराज्य की कल्पना की थी , इसकी स्थापना भाईचारे और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित थी । अनेकता में एकता सदैव हमारी शक्ति रही है। जिसे सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावे के माध्यम से बनाए रखना होगा। देश में सभी स्तरों पर सांप्रदायिकता और फासीवाद के संकट के विरुद्ध व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से लड़़ने का समय है। नागरिकों को सांप्रदायिकता के खतरों से अवगत कराया जाना चाहिए और जनमत को इसके विरुद्ध लामबंद किया जाना चाहिए। लोगों के बीच प्रेम, सद्भाव, सहिष्णुता और विश्वास को बढ़ावा देकर द्वेष भावना और समाज को बांटने वाली शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहिए। जमाअ़त ए इस्लामी हिंद शांति, न्याय और लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध व्यक्तियों और संगठनों का समर्थन करके सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। हमें लगता है कि देशवासी राजनीतिक लाभ के लिए द्वेष भावना को फैलाने वालों को हराकर देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को बहाल करने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। हमें आशा है कि लोगों के प्रयास से आने वाला समय श्रेष्ठ होगा ।
प्रोफ़ेसर सलीम इंजीनियर ने और कहा कि “भारतीय समाज एक बहु-धार्मिक, बहु-भाषाई और बहु-सांस्कृतिक समाज है। हमारा मानना है कि एक-दूसरे को समझने और आपसी विश्वास और सद्भाव को सुदृढ़ करने के लिए संचार और वार्तालाप की आवश्यकता है। इस संबंध में धार्मिक एवं सामाजिक नेताओं की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जमाअ़त ए इस्लामी हिंद इस संवाद और वार्तालाप को सक्षम करने के लिए देश भर में विभिन्न मंच बनाने की कोशिश कर रही है। तदनुसार, “धार्मिक जन मोर्चा” और “सद्भावना मंच” जैसे फ़ोरम विभिन्न राज्यों में कार्य कर रहे हैं। युवाओं और महिलाओं के लिए भी इसी तरह के मंच स्थापित किये जा रहे हैं।