रमज़ान में नेकियों की श्रेष्ठता का उच्चतम स्तर और बुराईयों का सर्वनाश जीवन पर्यन्त दिखाई देना चाहिए (“रमज़ान – तब्दीली का महिना” के ख़िताबे आम में मौलाना मोहीयु्द्दीन ग़ाज़ी के विचार)

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रमज़ान में नेकियों की श्रेष्ठता का उच्चतम स्तर और बुराईयों का सर्वनाश जीवन पर्यन्त दिखाई देना चाहिए (“रमज़ान – तब्दीली का महिना” के ख़िताबे आम में मौलाना मोहीयु्द्दीन ग़ाज़ी के विचार)

नागपुर – रमज़ान में शैतान गिरफ़्तार कर लिया जाता है । बाकी महिनों में दृढ़ ईमान वालों की बजाय वह कमज़ोर ईमान वालों को गिरफ़्तार कर लेता है। इस माह की कठोर बंदगी से प्रत्येक को शैतानी जेल से बचने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि रमज़ान के महिने में बंदगी और धर्मज्ञान के परिणाम स्वरुप धैर्य , आध्यात्मिक शक्ति, धैर्य , नैतिकताएं और अल्लाह का डर परवान चढ़ता है। शैतान रोज़ेदारों को गिरफ्तार नहीं कर पाता। हमको में इस माह में आध्यात्मिक परिवर्तन लाने के लिए अज्ञानता के अंधकार से निकलकर ज्ञान अर्थात प्रकाशवान ज़िंदगी की ओर आना चाहिए । ऐसा कुरआन का अनुवाद समझकर पढ़‌ने से संभव है। क़ुरआन का सरल , सुगम अनुवाद और बहुत-सी व्याख्याएं हर एक भाषाओं में मौजूद हैं। यह क़ुरआन ज्ञान का सूर्य है ।ये विचार “रमज़ान तब्दीली का महिना” पर “ख़िताबे आम” के आयोजन पर कार्यक्रम अध्यक्ष मौलाना डॉ मोहीयु्द्दीन ग़ाज़ी ने व्यक्त किए।

जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपुर के तत्वावधान में यह कार्यक्रम जाफ़र नगर के ईदगाह ग्राउंड में आयोजित किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि बहुत सी मनगढ़त हदीसें वाट्स अप और बोलचाल के माध्यम से फैलाई जा रही हैं । उन से बच कर ज़िंदगी को प्रकाशवान करने के किए सही हदीसों का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। सीरत और इस्लामी शिक्षाओं पर आधारित पुस्तकों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। इस्लाम के खिलाफ़ फैल रही भ्रांतियां इस्लामी शिक्षाओं को प्राप्त करने से ही दूर हो सकती हैं।

रोज़ेदार को अश्लील बातों, अवैध संबंधों , लूटपाट, क्रोध , झगड़ों , झूठ बोलने हरामखोरी से निकलकर पवित्रता के दामन में आना चाहिए। विरासत का हिस्सा देने , कर्ज़ा लौटाने जैसी सभी प्रकार की संपत्तियों को हक़दारों को वापिस कर देना चाहिए। रमज़ान का प्रशिक्षण और उद्देश्य जीवंत पर्यन्त के लिए यही सिखाता है । आध्यात्मिकता का भौतिकता पर वर्चस्व नहीं होना चाहिए। रंगीन सहरियों, रंगीन इफ्तारों से रंगीन माहौल नही बनाना चाहिए। बल्कि भरपूर इबादतें की जाना चाहिए। इस प्रकार स्थिति में श्रेठ बदलाव अवश्य हो कर रहेगा ।


मुफ़्ती मोहम्मद साबिर ने इस अवसर कहा कि आज की सभा का उद्देश्य यही है कि आने वाला मूल्यवान महीना रमज़ान , बहुत अच्छी तैयारी और अच्छे ढंग से गुज़र जाए कि हम अपने जीवन में क़ुरआन के अनुसार धर्मपरायणता , तक़्वा , सदाचारी को अपना सकें । तक़्वा केवल एक महीने के लिए नहीं बल्कि मरते दम तक स्वयं को नेक बनाए रखना है। मुसलमान को प्रत्येक क्षेत्र में पवित्र और शरीयत से बंधा हुआ होना चाहिए।

रमजान में जकात के अलावा दान प्रचुर मात्रा में होना चाहिए। इससे इंसान उदारतावादी बनता है। रमज़ान में बहुत अधिक भोजन और फ़िज़ूल खर्ची नहीं करना चाहिए। कम भोजन से इबादतें में अधिक शक्ति प्राप्त होती है । रुपए का दुरुपयोग न कर उससे शिक्षा के उच्च विद्यालय खोले जाना चाहिए। इस माह में नौजवान वर्ग को पवित्र बनने का प्रयास करना चाहिए। वे गली , चौराहे सड़कों के किनारे बैठ कर टिप्पणियां करते हैं, वे समय के साथ अपना भविष्य भी बर्बाद करते हैं, ऐसी प्रवृत्ति इस्लाम के विरुद्ध है ।


कार्यक्रम में मुफ़्ती मोहम्मद इमरान क़ासमी ने इफ़्तार के बढ़ते चलन पर चिंता जताई। मुफ़्ती मोहम्मद आरिफ़ क़ासमी ने ज़ोर देकर कहा कि रमज़ान में औपचारिक बंदगी की बजाय वास्तविक स्वरुप में इबादतें करना चाहिए ।
कार्यक्रम का आरंभ मदरसों के बच्चो के क़िरअत मुक़ाबले से हुआ था। प्रथम पुरस्कार मौलाना मोहीयु्द्दीन ग़ाज़ी के हस्ते मोहम्मद हुसैद इब्न मोहम्मद साद को दिया गया। शेष बच्चों को सांत्वना पुरस्कार दिए गये । कार्यक्रम के दौरान नसीरुद्दीन तारिक़ ने नात पढ़ी। मंच पर अन्य अतिथियों में जेआईएच नागपुर के शहर अध्यक्ष ख़्वाजा इज़हार अहमद तंवीर मिर्ज़ा, अंबर मलिक , अशरफ़ बेलिम, इफ़्तिख़ार अहमद, डॉ नुरुल अमीन विराजमान थे।
कार्यक्रम में अत्यधिक संख्या में पुरुष और महिलाएं उपस्थित थीं ।
इस कार्यक्रम का संचालन मोहम्मद सोहेल अंसारी और अबुल असरार हामिद ने किया।
यह जानकारी जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपुर के मीडिया सेक्रेटरी डॉ एम ए रशीद ने दी।