वक़्फ संशोधन विधेयक (माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन)—- वाइस प्रिंसिपल मुहम्मद जावेद, नागपूर।
आज शुक्रवार को हमें इस मस्जिद में एकत्र होने का अवसर मिला है और हम आज के शुक्रवार की नमाज़ को सामूहिक रूप से अदा भी करेंगे। हमें मालूम होना चाहिए कि यह मस्जिद , मस्जिद मर्कज़े इस्लामी, जो जाफ़र नगर के टीचर्स कालोनी में स्थित है , को हमारे पूर्वजों ने बड़ी कुर्बानियों के साथ स्थापित किया था। अल्लाह सर्वशक्तिमान की कृपा से पूरे भारत में मस्जिदें अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हैं। यहां ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने इस मस्जिद की स्थापना देखी है और वे जानते हैं कि कितने प्रयासों और बलिदानों (धन दौलत, परिश्रम) के बाद इस मस्जिद का निर्माण हुआ था। अल्लाह उन सभी लोगों की कब्रों को रोशनी से भर दे और उन्हें स्वर्ग में जगह दे । आमीन।
जैसे कि हम जानते हैं कि वर्तमान सरकार ने वक़्फ संशोधन विधेयक को पारित किया है और उसे हमारे फ़ायदे के लिए कहा जा रहा है, जबकि उन्होंने उसमें करीब 150 बदलाव किए हैं। देखा जाए तो इसमें कोई बड़ी बात दिखाई नहीं देती लेकिन गहराई से परखा जाए तो इसमें बहुत भयानक परिवर्तन किये गये हैं। मस्जिदों , खांकाहें ( मठ ) , मदरसों और जितनी भी चीज़ों को लोगों ने वक़्फ में शामिल किया है वे वक़्फ संशोधन विधेयक की सीमा में आती हैं और वे कभी भी सरकार के अधीन जा सकती हैं।
वास्तव में वक़्फ़ ऐसा दान है
जो मुसलमानो द्वारा अल्लाह को समर्पित कर दिया गया होता है, फिर वह संपत्ति मुसलमानों की संपत्ति नहीं रह पाती , बल्कि वह संपत्ति अल्लाह सर्वशक्तिमान की संपत्ति होती है। ऐसी संपत्ति जिससे कि अल्लाह के बंदों को जो लाचार , असहाय, विधवा, बीमार होते हैं, वे जिनके पास शिक्षा, व्यवसाय, क़र्ज़ अदा करने की क्षमता नहीं होती आदि विभिन्न सेवाओं के अंतर्गत वक़्फ की संपत्ति से उनको लाभ पहुंच सके ।
बताया जाता है कि वक़्फ के पास इतनी अधिक भूमि है कि रेलवे के बाद उसका नाम है। इस प्रकार का ऐसा माहौल बनाया गया। देखा जाए तो इससे अधिक भूमि अन्य ट्रस्टों के पास हैं। इस विधेयक पर सरकार की नीयत साफ़ दिखाई नहीं देती । हमारे साथ इस हद तक व्यवहार हुआ है कि वह हमारी मस्जिदों में मंदिर ढूंढ रही है और उन्हें खोदा जा रहा है। मुसलमानों के घरों पर बुलडोज़र चल रहे हैं, लेकिन दूसरों के साथ इस प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसा कहा जाता है कि हम यह काम आपके कल्याण के लिए कर रहे हैं, इस प्रकार की कुछ बातें जो न हजम हो पातीं हैं और कुछ समझ में भी नहीं आतीं।
वर्तमान संशोधित विधेयक के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वक़्फ बोर्ड के सभी सदस्यों में वे संसद सदस्य , विधानसभा के सदस्य और अन्य में सभी मुसलमान होते थे और वे ही उसके निर्णय लिया करते थे। अब उसमें सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया है कि उसमें अब दो गैर-मुस्लिमों को शामिल किया गया है । उसमें से चार सदस्य मुसलमान हो सकते हैं, वो मुसलमान भी रहेंगे, लेकिन करीब सात सदस्य ऐसे हों जाएंगे, जो इन दो को यानि पांच को जोड़ कर सबके लिए खुला कर दिया है कि वे मुसलमान भी हो सकते हैं या गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं। यानि सात और चार 11 सदस्यों में से चार सदस्य मुसलमान रहेंगे और सात सदस्यों में से दो गैर-मुस्लिम ही रहेंगे। बाकी पांच में से ओपन है सबके लिए कि सरकार जिसे चाहे उसमें शामिल करदे। कल्याण के लिए जो भी निर्णय लिया जा रहा है, वह आगे बहुत प्रभावित हो सकता है। फिर हम इसके बारे में विरोध भी नहीं कर पाएंगे क्योंकि जब यह निर्णय सरकार द्वारा होने लगेंगे और हमारी यानी वक़्फ की संपत्तियां छीने जाने की संभावना बढ़ जाएंगी।
दूसरी बात जो हम बार-बार सुन रहे हैं – वक़्फ बाई यूज़र्स वह क्या है ? कि बहुत पुरानी संपत्तियां जिनके कागज़ात अभी उपलब्ध नहीं हैं, वह यह माना जाता है कि पेपर नहीं है लेकिन उपयोग में है। संभव है कि कोई मस्जिद 150 साल पुरानी है, कोई मदरसा 200 साल पुराना है, एक दरगाहे हैं जिसे मस्जिद , मदरसा वग़ैरह माना जाता है। पुराने लोग इसमें नमाज़ अदा करते आ रहे हैं। ये वक्फ संपत्ति होने के नाते वक़्फ बाई यूज़र्स कहा जाता है। लेकिन अब प्रॉपर्टी के काग़ज़ पत्र दिखाने होंगे। यदि वह मस्जिद , मदरसा , दरगाह हैं तो साबित करना होगा कि यह मस्जिद आदि है । यहां कोई यह नहीं कह सकेगा की यह 200 साल पुरानी मस्जिद है। मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर अंतरिम राहत दी है। अल्लाह सर्वशक्तिमान करे कि यह संशोधित बिल पूरी तरह से वापस हो जाए। लेकिन वक़्फ बाई यूज़र्स पर तलवार लटक रही है कि हमारी संपत्तियां खतरे में पड़ जाएंगी। आगे यह भी पहले बोर्ड, उसके चेयरमैन और सीईओ ही फैसले लेते थे, वे ही प्रॉपर्टी का सर्वे करते थे, उसका रजिस्ट्रेशन किया करते थे। अब ये सारी शक्तियां कलेक्टर को दे दी गई हैं। चूंकि कलेक्टर सरकारी अधिकारी होता है, इसलिए जब भी कोई विवादित मामला सामने आएगा, संपत्ति का विवाद होगा और किसी ने दावा किया हो कि यह वक्फ की संपत्ति नहीं है, यह मस्जिद की संपत्ति नहीं है, यह मेरी संपत्ति है या सरकार ही यह घोषित कर दे कि संपत्ति वक़्फ की नहीं है तो संभावना यह है कि कलेक्टर सरकार के पक्ष में निर्णय दे , वक़्फ के पक्ष में न दे ।
इससे आगे की बात यह है कि पहले एक लागू करने के संबंध में एक कानून था कि यदि कोई संपत्ति है और उस संपत्ति पर कोई व्यक्ति कुछ वर्षों से रह रहा है, तो एक निश्चित अवधि के भीतर आपको अदालत में यह दावा करना होता था कि यह संपत्ति मेरी है। लेकिन यदि आपने उस विशिष्ट समय के भीतर दावा नहीं किया, तो आपका उस पर कोई दावा नहीं बनता था । जो भी वहां रह रहा है या उसका उपयोग कर रहा है वह इसका मालिक बन जाएगा। लेकिन अब इस मामले को भी हटा दिया गया। वक्फ के बारे में पहले यह था कि कोई उसकी संपत्ति पर रह रहा है तब भी वह वक़्फ की संपत्ति मानी जाती थी।
अब इस सुविधा को हटा दिया जाएगा । मंदिरों की संपत्ति और अन्य संपत्तियों के लिए तो अभी भी सुविधा है, धार्मिक संपत्तियों के लिए भी यह सुविधा है, लेकिन वक्फ में से इसे हटा दिया जाएगा। अल्लाह से दुआ है कि वह हमारे पक्ष में फैसला फ़रमाए। ये कुछ बातें उत्पन्न होने वाले खतरों के संबंध में थीं। इन शा अल्लाह आगे वक़्फ़ क्या है हमें उसे समझने की कोशिश करेंगे।