सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर मिर्जा बेग के खिलाफ FIR किया रद्द, मध्य प्रदेश सरकार को फटकारा

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इंदौर लॉ कॉलेज में 2023 में सेमेस्टर के एक्जाम होने थे। कॉलेज ने ABVP से जुड़े कुछ छात्रों को एक्जाम में नहीं बैठने की वार्निंग दी क्योंकि ना वह कॉलेज आते थे और ना पिछले दो सेमेटर से फ़ीस भरी थी।

इनका सरगना था दीपेंद्र सिंह ठाकुर, लॉ कॉलेज के एबीवीपी यूनिट का प्रेसिडेंट और उसका साथी लक्की आदिवाल।

जब कॉलेज ने उन्हें सस्पेंड करने की धमकी दी तो ABVP के छात्रों ने कॉलेज प्रिंसीपल #इनामुर्रहमान पर धर्म को बढ़ावा देने और मुस्लिम फैकल्टी को लाने का आरोप लगाते हुए एक चिट्ठी लिखी और जांच की मांग की।

जिन पत्रकारों की हिंदू मुस्लिम दूकान थोड़ी ठंडी चल रही थी अचानक से मानों खुशी की लहर दौड़ पड़ी और वह भोपाल से इंदौर कवरेज करने दौर पड़े और मुद्दे को ख़ूब हवा दी।

पर चुकी इस आरोप में इतना दम नहीं था की पुलिस और सरकार एक्शन में आए तो अगले दिन एबीवीपी के छात्रों ने मीडिया की मदद से लाइब्रेरी में रखी डॉक्टर फरहत ख़ान की क़िताब “Collective Violence and Criminal Justice System,” जिसमें RSS को एक फ्रिंज संगठन बताया गया था को मुद्दा बना कर हंगामा शुरु कर दिया गया।

प्रिंसिपल के ऑफिस के बाहर हंगामा शुरु हो गया। तब तक मीडिया ने कॉलेज को पीपली लाइव बना दिया था। इस्लाम विरोधी नारे लगने लगे।

दिल के कमज़ोर और प्रर्दशन से आहत इनामुर्रहमान ने टीवी और कैंपस में विरोध को देखते हुए रिजाइन कर दिया और मीडिया के सामने रो पड़े।

इंदौर पुलिस ने प्रिंसिपल सहित असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉक्टर मिर्ज़ा मोजिज बेग और क़िताब की राइटर डॉक्टर फरहत ख़ान के खिलाफ़ 153-A, 153-B, 295-A, 500, 504, 505, 505(2) और 34 के खिलाफ़ FIR दर्ज की।

इसके अलावा वहा पढ़ाने वाले 4 मुस्लिम प्रोफेसर्स को भी निकाल दिया गया।

ख़ैर, आज सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई, 2024 (मंगलवार) को सुनवाई करते हुए इंदौर पुलिस की FIR ख़ारिज कर दिया और पुलिस, राज्य सरकार और हाई कोर्ट को जम कर लताड़ लगाई।