नागपुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (NMC) के जनकल्याण विभाग द्वारा जारी 29 लाख रुपये के टेंडर पर अब शहर में चर्चा शुरू हो गई है।
यह टेंडर हाल ही में भरा गया है, लेकिन अभी स्वीकृत नहीं हुआ है।
जानकारी के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया में एक ठेकेदार ने 41% तक रेट घटाकर बोली लगाई, जिसके चलते वही काम हासिल करने की दौड़ में आगे निकल गया।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक,
ठेकेदार को 57% परफॉर्मेंस सिक्योरिटी (लगभग ₹17 लाख) विभाग में जमा करवानी होगी।

वहीं वर्क ऑर्डर अमाउंट भी ₹17 लाख के करीब है।
इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सरकार या विभाग की कोई गलती नहीं है — यह तो टेंडर की खुली और पारदर्शी प्रक्रिया का हिस्सा है।
मगर सवाल यह जरूर उठता है कि
जब कोई ठेकेदार 41% तक रेट गिराकर काम लेने को तैयार होता है, तो क्या उस स्थिति में काम की गुणवत्ता (क्वालिटी) बनी रह पाएगी?
निर्माण और विकास कार्यों में इतनी भारी रेट कटौती से अक्सर गुणवत्ता पर असर पड़ने का खतरा रहता है।
अब देखना यह होगा कि विभाग गुणवत्ता नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाता है, ताकि जनता के पैसे से किए जाने वाले काम में कोई कमी न रहे।