नारी स्वतंत्रता – अश्लील साहित्य अश्लील वीडियो और नग्नता का पर्याय बन चुकी है” “नैतिकता स्वतंत्रता का आधार” विषय पर राष्ट्रीय अभियान के तहत आयोजित सिंपोज़ियम में नफ़ीसा अतीक़ के विचार

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“नारी स्वतंत्रता – अश्लील साहित्य अश्लील वीडियो और नग्नता का पर्याय बन चुकी है”

( “नैतिकता स्वतंत्रता का आधार” विषय पर राष्ट्रीय अभियान के तहत आयोजित सिंपोज़ियम में नफ़ीसा अतीक़ के विचार )

नागपुर – विश्व की हर एक वस्तु सीमा क्षेत्र में रहते हुए ईश्वरीय सिद्धान्तों के अनुसार गतिमान है। उसी प्रकार इंसान को भी सीमा में रहते हुए अपना जीवन बिताना चाहिए। अल्लाह ने इंसान को सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ बनाया है। उसे मस्तिष्क के साथ विभिन्न गुणों से सुशोभित भी किया है। लेकिन नारी स्वतंत्रता अश्लील साहित्य, अश्लील वीडियो और नग्नता का पर्याय बन चुकी है। हमें अब नैतिक प्रवृत्तियों को परवान चढ़ाने की आवश्यकता है ‌। नैतिकताओं का स्वभाव सदा सकारात्मक ही होता है। ये विचार जमाअ़त ए इस्लामी हिंद महाराष्ट्र के महिला विभाग की सहायक सचिव नफ़ीसा अतीक ने सीताबर्डी के हल्दीराम में स्थित बैंक्वेट हाल में एक सिंपोज़ियम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। जेआईएच नागपुर महिला विभाग ने इसे “नैतिकता स्वतंत्रता का आधार” विषय पर राष्ट्रीय अभियान के तहत आयोजित किया था। उन्होंने कहा कि बचपन से ही बच्चों में ईशभय, अल्लाह का डर बैठाने के साथ उनमें नैतिकताएं पैदा की जाएं तो वे किसी भी आयु में बुराईयों को नहीं अपना सकते।


प्रोफ़ेसर एवं देश की वरिष्ठतम दलित नारीवादी विमल थोरात ने समानता, भाईचारा और मान सम्मान को महिलाओं की स्वतंत्रता का आधार , बौद्ध धर्म से महिलाओं को शिक्षा के अधिकार की प्राप्ति पर प्रकाश डाला उन्होंने “नैतिक मूल्यों के माध्यम से समाज निर्माण एवं सामूहिकता” विषय पर कहा कि परिवार की पितृसत्तात्मक व्यवस्था ने समाज में समस्याएं पैदा की हैं
“डिजिटल युग में नैतिकता और स्वतंत्रता” विषय पर तिरपुडे सेंट्रल स्कूल की प्रिंसिपल आफ़रीन सयानी ने मानव जीवन को शांतिपूर्ण और सार्थक बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी तकनीक तब ही उपयोगी बन सकती है जब कि उसका उपयोग सकारात्मक रूप से किया जाए । माता-पिता को अपने बच्चों के लिए उनके उपयोग पर नियंत्रण रखना चाहिए ।


”स्वतंत्रता नैतिकता की बुनियाद है” विषय पर जयहिंद विद्यालय की शिक्षिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता ममता श्रीराम कराड़े ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी महिलाएं अब तक स्वतंत्र नहीं हुई हैं , नैतिक ज़िम्मेदारियों के साथ उन्हें शिक्षा मिलनी चाहिए।
महाराष्ट्र सत्यशोधक महिला फेडरेशन की अध्यक्ष एवं शिक्षिका वंदना वनकर ने सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आदर्शों को लोकप्रिय बनाने और रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
“आधुनिक युग में नैतिकता बनाए रखने की चुनौतियाँ” विषय पर
उर्दू विभाग, शासकीय विज्ञान एवं कला संस्थान की एचओडी डॉ. नुसरत मीनू ने आज के युग में नैतिक मूल्यों पर चिंता जताते हुए कहा कि नैतिकता ही मनुष्यों को जानवरों से अलग करती है । गरिमा, सम्मान, नम्रता, करुणा, न्याय और अच्छा व्यवहार धारण करने वाले ही नैतिक मूल्यों के मालिक होते हैं। प्रौद्योगिकी का उपयोग दोमुंही तलवार जैसा है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम किसे अपनाएं।
संगोष्ठी का आरंभ क़ुरतुल ऐन बुशरा ने क़ुरआन पठन से किया , डॉ. शिरीन खान ने अनुवाद प्रस्तुत किया। जेआईएच महिला विभाग की शहर अध्यक्ष डॉ. सबीहा ख़ान ने अभियान का परिचय और उद्देश्य प्रस्तुत किया । ज़ेबा ख़ान ने आभार तथा संचालन बेनज़ीर ख़ान ने किया ।यह जानकारी जेआईएच मीडिया सचिव डॉ एम ए रशीद ने दी।
डॉ एम ए रशीद
मीडिया सचिव
जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपूर