क्या बाबरी की तरह गिराई जानी थी कोल्हापुर की मस्जिद : छत्रपति शिवाजी के राज में सुरक्षित रही मजार,वंशज के समर्थक बने दुश्मन

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क्या बाबरी की तरह गिराई जानी थी कोल्हापुर की मस्जिद?

महाराष्ट्र के गजापुर गांव पर 500 लोगों ने किया हमला, जगह-जगह टूटी कारें, जले मकान, मुसलमानो का आरोप- 10 दिन पहले से प्लानिंग थी, प्रशासन ने एक्शन नहीं लिया, बतातें है

छत्रपति शिवाजी की शरणगाह बने विशालगढ़ किले से करीब 2 किमी पहले हजरत मलिक रेहान मीरा साहब की मजार है। इतिहासकार इंद्रजीत सावंत बताते हैं कि छत्रपति शिवाजी के दौर में भी ये मजार सुरक्षित रही। उनके बाद उनके पेशवाओं और वारिसों ने भी इसका संरक्षण किया।

विशालगढ़ किले से करीब 6 किमी दूर है गजापुर गांव। 14 जुलाई को करीब 500 लोगों ने इस गांव पर हमला किया। एक मस्जिद में घुस गए और हथौड़ों से उसे तोड़ने की कोशिश की। स्थानीय लोगों का आरोप है कि हमलावर कह रहे थे कि इस मस्जिद को भी अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तरह तोड़ देंगे।

एक आरोप ये भी है कि हमला करने आए लोग शिवाजी के वंशज संभाजी राजे भोसले की अपील पर आए थे। संभाजी राजे भोसले के पिता छत्रपति शाहू महाराज कांग्रेस में हैं और कोल्हापुर से सांसद हैं।

14 जुलाई को भीड़ ने गांव पर हमला कर दिया। पहले गांव के बाहर बनी मस्जिद और कब्रिस्तान को तोड़ने की कोशिश की। फिर 40 से ज्यादा घरों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। सामान भी लूट लिया।

पुलिस की टीम पहुंची, तो भीड़ ने उस पर भी पथराव किया। हथियारों से हमला कर दिया। पुलिस ने 500 अज्ञात लोगों पर आतंक फैलाने, बलवा करने और हत्या की कोशिश की धाराओं में केस दर्ज किया है। मामले में अब तक 25 लोग अरेस्ट किए गए हैं।

मुस्लिमवाड़ी मोहल्ले में ही 65 साल की आयशा मोहम्मद रहती हैं। भीड़ ने उनके घर में तोड़फोड़ की और लूटपाट कर आग लगा दी। बचने के लिए आयशा अपनी बहू और बच्चों के साथ भाग निकलीं। वे बताती हैं, ‘उस दिन बारिश हो रही थी, इसलिए आग बार-बार बुझ रही थी। आग बुझती तो वे फिर से आग लगा देते। उनके पास तलवार, भाले, हथौड़े और फावड़े थे।’

यहीं हमें दिलशाद बानो मिलीं। वे घर का टूटा सामान समेट रही थीं। दिलशाद बानो बताती हैं, ‘हम लोग तो जंगल में भाग गए थे। पुलिस आई, तब 6 घंटे बाद घर पहुंचे। तब तक सब लुट चुका था। 70 हजार रुपए और 4 तोला सोने के गहने गायब थे।’

गजापुर में 40 साल से रह रहे इमाम बताते हैं, ‘4 दिन से हिंदुत्ववादी संगठन अपने सोशल मीडिया पेज पर वीडियो पोस्ट कर रहे थे। लोगों से 14 जुलाई को विशालगढ़ में होने वाली महाआरती में शामिल होने के लिए कहा जा रहा था। इनमें संभाजी महाराज का संगठन भी था।’

‘दोपहर 12.30 बजे मैं मस्जिद में ही था। हम 10-12 लोग बैठे हुए थे। तभी किले की ओर से 50 और नीचे की तरफ से 100 से ज्यादा लोग आए और मस्जिद में घुस गए। कुछ लोग मस्जिद की मीनार तोड़ने लगे, कुछ अंदर तोड़फोड़ कर रहे थे। ये सब शाम 6 बजे तक चला।’

कोल्हापुर मुस्लिम बोर्डिंग के चेयरमैन गनी अजरेकर हमले के बाद सबसे पहले गांव में पहुंचे थे। वे आरोप लगाते हैं, ‘हमला भले 14 जुलाई को हुआ, लेकिन इसकी प्लानिंग 3-4 जुलाई से चल रही थी। सोशल मीडिया पर पुणे, सोलापुर और कोल्हापुर के लोगों के वीडियो-पोस्ट वायरल हो रहे थे। इसमें लोग कह रहे थे कि बाबरी विध्वंस के समय हमें मौका नहीं मिला, लेकिन इस मस्जिद को गिराकर हम अपना सपना पूरा करेंगे।’

गनी अजरेकर बताते हैं, ‘7 जुलाई को कोल्हापुर के 20 से ज्यादा हिंदुत्ववादी संगठनों के लोग अतिक्रमण हटाने के नाम पर पहुंचे थे। वहां उन्हें पता चला कि मामला कोर्ट में है और अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, तो वे लौट गए।’

‘इसके बाद पूर्व राज्यसभा सांसद संभाजी राजे छत्रपति की एंट्री हुई। उनके संगठन ने किले के आसपास से अतिक्रमण हटाने के लिए 13 और फिर 14 जुलाई को लोगों को विशालगढ़ आने के लिए कहा।’ आंदोलन का नाम रखा ‘चलो विशालगढ़।’ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी उनके लोग हथौड़ा लेकर बैठे थे। इससे साबित होता है कि उनकी प्लानिंग पहले से तोड़फोड़ की थी।’

हजरत मलिक रेहान मीरा साहब की मजार के पास रहने वाली आफरीन मुजावर बताती हैं, ‘14 जुलाई को हिंसा हुई। 15 जुलाई को यहां प्रशासन ने अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया। जिनके पास डॉक्युमेंट थे, उनके घरों को भी गिरा रहे थे। बॉम्बे हाईकोर्ट के स्टे के बाद फिलहाल अभियान रुक गया है।’

हमले के बारे में पूछने पर आफरीन बताती हैं, ‘भीड़ जय शिवाजी और जय श्री राम के नारे लगा रही थी। वे लोग कह रहे थे कि जैसे अयोध्या को बाबरी मुक्त किया, वैसे ही इस जगह को मुसलमानों से मुक्त कर देंगे। कब्रिस्तान को तोड़ने की कोशिश की, घरों पर पत्थर फेंके। प्रशासन के लोग गजापुर तो जा रहे हैं, लेकिन हमारा हाल जानने कोई नहीं आ रहा है।’

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