लापरवाही : मेयो के इंटर्न (MBBS) डॉक्टर “फैज” की उपचार के अभाव में मौत, उपचार के लिए भेजा था मेडिकल हास्पिटल

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न्यूराेसर्जन नहीं, जांच समिति गठित कामठी रोड पर एक्सीडेंट में हुए थे गंभीर रूप से घायल, आक्रोशित डॉक्टरों ने अधिष्ठाता का घेराव किया, अधिष्ठाता ने ही की लापरवाही?

नागपुर । इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) के इंटर्न डॉक्टर की मृत्यु से हडकंप मचा है। कामठी रोड पर हुई दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल इंटर्न डॉक्टर को मेयो में लगाया था. वहां डॉक्टरों ने उपचार न कर मेडिकल में भेजे जाने का अारोप है। इंटर्न डॉक्टर की मौत हाेने से संतप्त डॉक्टरों ने अधिष्ठाता का घेराव किया। अधिष्ठाता डॉ. रवि चव्हाण ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच समिति गठित की है। दोषियों पर नियमानुसार कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है।

, मेडिकल में किया रेफर :

प्राप्त जानकारी के अनुसार कामठी रोड निवासी फैज मोहम्मद खान इंटर्नशिप कर रहा था। मेयो से एमबीबीएस करने के बाद उसकी इंटर्नशिप शुरु थी। इंटर्नशिप का आखिरी महीना बाकी था। शनिवार की सुबह कामठी रोड पर एक दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल हुआ। उसे तुरंत मेयो के आकस्मिक विभाग में लाया गया। उसके सिर पर गंभीर चोट लगी थी। मेयो में न्यूरोसर्जन नहीं होने से डॉक्टरों ने फैज खान को मेडिकल के ट्रामा केयर सेंटर में रेफर किया। मेडिकल में जांच के बाद फैज को मृत घोषित किया। फैज का मेयो में उपचार न कर मेडिकल में क्यों भेजा गया, यह सवाल इंटर्न डॉक्टरों ने उठाया।

अगर घायल डॉक्टर फैज इलाज मेयो अस्पताल में किया जाता तो शायद फैज की जान बच जाती?

इस बात पर अधिष्ठाता का घेराव किया गया। इससे पहले ही मामला तूल पकड़े अधिष्ठाता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच समिति गठित कर दीl जांच समिति को तत्काल मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

कुछ समय के लिए तनाव का माहौल

न्यूरोसर्जन नहीं होने से भेजते मेडिकल : सरकारी अस्पतालों में रोज दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को लाया जाता है। मेयो अस्पताल में भी रोज मरीज लाये जाते हैं। लोगों को पता नहीं रहता कि कहां विशेषज्ञ डॉक्टर है और कहां नहीं है। लोग जान बचाने की जुगत में आसपास के बड़े सरकारी अस्पतालों में मरीजों को लेकर आते हैं। मेयो में रोज न्यूरोसर्जन की जरुरत होती है। लेकिन मेयो मे यह पद नहीं होने से मरीजो को मेडिकल के ट्रामा सेंटर में भेजना पड़ता है। इसमें समय जाता है। गंभीर मरीजों को तुरंत उपचार नहीं मिलने से उनकी जान खतरे में आ जाती है। शनिवार को इंटर्न डॉक्टर की मौत के मामले ने फिर एक बार मेयो अस्पताल में न्यूरा सर्जन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। इस पर डॉ. चव्हाण ने बताया कि मेयो में न्यूरोसर्जन सर्जन पद आस्थापना के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजा जानेवाला है।