हाजियों का इस्तक़बाल करने वालों की ज़िम्मेदारियां,यातायात विभाग को करना चाहिए उचित प्रबंध- डॉ एम ए रशीद नागपुर

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नागपुर/पवित्र मक्का और मदीना शरीफ़ में अपने धार्मिक कर्तव्यों को अंजाम देकर हाजियों की वापसी पर पहले जत्था की फ्लाइट नागपुर एयरपोर्ट पर 16 जुलाई को आने वाली है। 40 दिनो के लम्बा तीर्थ कर हाजी अपने घर जाने के लिए तनाव के साथ थकान से चूर रहते हैं। एक ओर उनके रिश्तेदारों में बच्चे और महिलाएं , पड़ोसी , दोस्त एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में इस्तक़बाल करने के साथ ही उन्हें लेने जाते है । दूसरी ओर हाजियों को इस समय आराम और सुकून की बहुत ज़रूरत होती है । हाजियों को स्वयं के साथ लाये हुए सामान की ट्राली सम्हालना मुश्किल होने के साथ ही उन्हें सामान खो और चोरी हो जाने का डर भी सताता हैं।


विदित हो कि एक फ़्लाइट में तकरीबन 430 हाजी सफ़र करते हैं । हाजी को लेने के लिये यदि एक घर से कम से कम 10 लोग भी आते हैं तो चार हज़ार लोगो से ज़्यादा की भीड़ एयरपोर्ट के बाहर जमा हो जाती है।
उसे नियंत्रित करने के लिए प्रशासन और संबंधित विभागों को काफी मशक्कत करना पड़ती है। इस्तक़बाल करने वालों की ज़िम्मेदारियां बनती हैं कि यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ सहयोग का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करें ताकि उसी मार्ग पर विभिन्न फ्लाइट के लिए जाने वालों और शहरवासियों के लिए किसी तरह की बाधाएं खड़ी न हो सकें ।
हाजियों के इस्तेकबाल को लेकर चिंतित धार्मिक मौलानाओं के विचार लाभदायक बन सकते हैं, उनमें से एक महत्वपूर्ण बात यातायात व्यवस्था को लेकर जाफ़र नगर की मस्जिद मरकज़े इस्लामी के इमाम मौलाना शाकिरुल अकरम फ़लाही ने कही है कि हाजियों को लाने के लिए किसी मार्ग को चयनित कर भीड़ रोकने हेतु उचित प्रबंध किए जा सकते हैं जैसा कि विभाग विशेष दशाओं में करता है। हाजियों के निकट संबंधियों को ही हाजी को लाने की इजाज़त दी जानी चाहिए, शेष लोगों को बाहर रोकने से एयरपोर्ट पर भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे समय प्रशासन की सहायता के लिए शहरवासियों में जागरूकता पैदा होना चाहिए। यूथ विंग, आई आर डब्ल्यू , रिटायर्ड लोग प्रशासन की सहायता कर यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
लोगों को वाहन की पार्किंग सही ढ़ंग से करना चाहिए। पार्किंग स्थल पूर्ण होने पर वाहन को कहीं भी खड़े कर देने से वह सभी के लिए परेशानी का कारण बन जाते हैं। भीड़ रोकने में हाजियों का इस्तकबाल घर के प्रांगण में आयोजित किया जाए तो बहुत सी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस संबंध में प्रशासन, यातायात अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी जारी करना चाहिए।
हाजी के इस्तक़बाल और मुलाकातों के दौर में उन्हें फूलों के हार पहनाए जाने लगते हैं यहां तक कि वे फूलों की हार से लद जाते हैं। मिलने वाले उनसे गले मिलते हैं । उनके इस्तक़बाल के लिए वाहनों, गलियों, मोहल्लों और घरों को ख़ूब सजाया जाता है। जगह जगह हज मुबारक के तख़्ते लगाए जाते हैं । दिखावा और फ़िज़ूल ख़र्ची के अलावा कहीं नारे और बहुत से कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इनका सीधा प्रभाव नमाज़ों में ग़फ़लती का कारण बन जाता है।
हज से वापिसी पर हुदूदे शराअ़ में रहते हुए हाजियों का इस्तक़बाल करना उनसे मुलाकात करके मग़्फ़िरत की दुआ़ कराना जाइज़ और मुस्तहसिन अ़मल है। लेकिन इन में से कुछ अमल और कार्यक्रमों पर ध्यान नहीं दिया जाता, जो हमारे प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा किराम से साबित नहीं हैं। यहां शरीयत की हूदूद की लाज़मन पाबंदी होना चाहिए। इस्तक़बाल के समय हाजी पर ऊजब जैसे विपरीत प्रभाव न पड़ें इसका भी ध्यान रखना चाहिए । ऊजब अर्थात आत्म-प्रशंसा, अभिमान या मन में रहने वाला मैं, अपने आपको औरों से बहुत अधिक योग्य, समर्थ या बढ़कर समझने का भाव, अंतःकरण की वह स्वार्थपूर्ण वृत्ति जिससे हाजी में मैं कुछ हूं जैसी चीज़ों को न पैदा कर दे इससे उसके हज पर सवालिया निशान लग सकते हैं। इस संबंध में अहबाब मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती मोहम्मद साबिर ने मुसनदे अहमद , मिश्क़ात शरीफ़ के हदीस ग्रंथ के संदर्भ से यह कही कि “हुज़ूर अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि जब किसी हाजी से मुलाक़ात हो तो उसको सलाम करो, और उससे मुसाफ़ा करो और इससे पहले कि वह अपने घर में दाखिल हो अपने लिए दुआ़ए मग़्फ़िरत की उससे दरख़ास्त करो कि वह अपने गुनाहों से पाक साफ़ होकर आया है” ।