लाचारी!: बस वाले बैठा नहीं रहे थे, मजबूरी में गरीब मां-बाप ने नवजात के शव को थैले में छिपाकर किया 150KM का सफर

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बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और बड़ी-बड़ी सुविधाओं की बात करने वालों के मुंह पर ये घटना एक जोरदार तमाचा है। डिंडौरी में एक गरीब माता-पिता को मजबूरी में अपने नवजात के शव को थैले में छिपाकर 150 किमी का सफर करना पड़ा। क्योंकि अस्पताल से शव वाहन नहीं मिल सका, वहीं वे प्राइवेट गाड़ी का किराया वहन नहीं कर सकते थे। शव भी इसलिए छिपाना पड़ा, क्योंकि बस वाले उन्हें बैठा नहीं रहे थे।

मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। जानकर हैरानी होगी कि नवजात शिशु के शव को थैले में छुपाकर उसके परिजन घंटों भटकते रहे, लेकिन किसी ने उनकी मदद करना तक मुनासिब नहीं समझा। 

दरअसल 13 जून को डिंडौरी के सहजपुरी गांव में रहने वाली जमनी बाई को प्रसव पीड़ा होने पर डिंडौरी जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था और प्रसव के बाद नवजात शिशु की हालत बिगड़ने पर उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था, जहां उपचार के दौरान शुक्रवार को नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने डिंडौरी वापस आने के लिए मेडिकल कॉलेज जबलपुर प्रबंधन से शव वाहन का इंतजाम कराने मिन्नतें कीं, लेकिन प्रबंधन द्वारा शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया। 

कोई उनकी मदद के लिए सामने नहीं आया
मेडिकल कॉलेज से नवजात का शव ऑटो में रखकर परिजन जैसे-तैसे जबलपुर बस स्टैंड पहुंचे और शव को थैले में छिपाकर बस में 150 किलोमीटर का सफर तय करके देर रात डिंडौरी पहुंचे। थैले में शव रखकर परिजन डिंडौरी बस स्टैंड में रिश्तेदारों के इंतज़ार में यहां-वहां भटक रहे थे, लेकिन डिंडौरी में भी कोई उनकी मदद के लिए सामने नहीं आया। 

मीडिया ने जब परिजनों से शव को थैले में रखने की वजह जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि शव देखकर बस संचालक उन्हें बस में बैठाने से आनाकानी कर रहे थे और उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे प्राइवेट वाहन कर सकें, लिहाजा उन्होंने शव को थैले में छुपा लिया और बस में बैठकर किसी तरह डिंडौरी पहुंचे। सुरतिया बाई बताती हैं की वे मेहनत मजदूरी करके किसी तरह जीवनयापन करते हैं ऐसे में प्राइवेट वाहन का किराया कहां दे पाते।

बच्चे की मौत अस्पताल में नहीं हुई, शव वाहन नहीं देने के आरोपों की जांच करवाएंगे
सीएचएमओ संजय मिश्रा के अनुसार बच्चे का वजन कम होने के कारण उसे उपचार के लिए शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 14 जून को भर्ती किया गया था। बच्चे की हालत ठीक नहीं थी, इसके बावजूद भी परिजन उसे डिस्जार्च करने की मांग कर रहे थे। डिमांड ऑफ डिस्चार्ज फॉर्म में साइन कर परिजन अपनी मर्जी से बच्चे को ले गए थे। अस्पताल में बच्चे की मौत नहीं हुई है। पूरे घटनाक्रम के संबंध में उन्होंने मेडिकल अस्पताल प्रबंधन से जानकारी प्राप्त की है। यह बात संज्ञान में आई है कि परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने शव ले जाने के लिए साधन उपलब्ध नहीं करवाया। परिजनों के आरोप की हम जांच करवाएंगे और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।