उत्तर प्रदेश पुलीस पर अक्सर बकसूर लोगों का फसाने का आरोप लगता रहता हैं. कभी आतंकवाद के नाम पर तो कभी दंगों के आरोप में बेकसूर लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता हैं।
ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का हैं जहां पर पुलीस ने एक गरीब मुस्लिम युवक को नशीले पदार्थ की तस्करी के झूठे आरोप में फसा दिया था, हालाकि सबूत नहीं मिलने पर कोर्ट ने उनको रिहा कर दिया हैं
घटना 29 जून 2021 की हैं, कटरा कोतवाली के एक दरोगा और दो सिपाहियों ने संगमोहाल पुल से इमामबाड़ा निवासी सलमान पर 79 ग्राम हेरोइन होने का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया था।
इसके बाद कोर्ट में केस चला तथा अपर सत्र न्यायाधीश वायु नंदन मिश्र की अदालत में पुलीस सलमान के विरूद्ध एक भी सबूत नहीं पेश कर पाई, जिसके बाद अदालत ने सलमान को जमानत दे तथा दोषी पुलिसकर्मियों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
न्यायालय ने मिर्जापुर पुलिस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस की कार्यशैली से नागरिक के मूल अधिकार का हनन हो रहा है।
इस मामले पर पत्रकार सत्य प्रकाश भारती का कहना हैं कि, पुलिस ने गरीब मुस्लिम युवक को नशीले पदार्थ की तस्करी में फंसाया, कोर्ट ने पुलिस पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, यूपी के मिर्जापुर के इमामबाड़ा के रहने वाले सुलेमान (20) पर 29 जून 2021 की रात को पुलिस ने 79 ग्राम अल्प्राजोलम पाउडर के साथ सुलेमान को गिरफ्तार किया था. मुकदमा कटरा कोतवाली थाने में दर्ज किया गया. आनन-फानन में पुलिस ने ऐसे जुर्म का पुलिंदा अदालत के सामने पेश