ऑल्ट न्यूज़, बूम लाइव जैसी फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइटों के लिए अब रजिस्ट्रेशन ज़रूरी हो सकता है। उनकी जवाबदेही तय करने के लिए एक विधेयक में इसका प्रावधान किए जाने की तैयारी है। यदि ऐसा हो गया तो फिर ऐसी वेबसाइटें बिना रजिस्ट्रेशन के फ़ैक्ट चेक क्या कर पाएँगी! तो सवाल है कि फ़ेक न्यूज़ का क्या होगा? क्या सरकारी एजेंसी या फिर सरकार द्वारा मंजूर वेबसाइट ही फ़ैक्ट चेक कर पाएँगी?
एक रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन फैक्ट चेक करने वाले प्लेटफार्मों को अधिक जवाबदेह बनाने की सरकार की योजना है। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। इसने कहा है कि पता चला है कि इस उपाय को आगामी डिजिटल इंडिया बिल के तहत एक महत्वपूर्ण प्रावधान के रूप में विचार किया जा रहा है।
यह रिपोर्ट तब आई है जब पिछले कुछ समय से केंद्र ने ऑनलाइन फ़ैक्ट चेक वाली सामग्री पर शिकंजा कसने का प्रयास किया है। इस साल अप्रैल में सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2023 को अधिसूचित किया गया, जिससे सरकार समर्थित फैक्ट चेक करने वाली इकाई के निर्माण के लिए मंच तैयार हुआ। इसे केंद्र सरकार से संबंधित ऑनलाइन सामग्री को नकली या भ्रामक के रूप में लेबल देने का अधिकार होगा।
सरकारी निकाय द्वारा चिह्नित सामग्री को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ऑनलाइन माध्यमों द्वारा एक शर्त के रूप में हटाना होगा ताकि तीसरे पक्ष की सामग्री पर उन्हें मिलने वाली कानूनी छूट जारी रहे। इस उपाय पर काफ़ी तीखी प्रतिक्रिया हुई है। यह कोर्ट में भी मामला गया है और इस प्रावधान को निरस्त करने की मांग की जा रही है।
बहरहाल, अब फैक्ट चेक करने के मामले में नये नियम लाने की तैयारी है। अंग्रेज़ी अख़बार ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा है कि पंजीकरण योजना को चरणों में पूरा किया जा सकता है।
रिपोर्ट है कि पुरानी और प्रतिष्ठित मीडिया कंपनियों की फैक्ट चेक करने वाली इकाइयों को पहले चरण में पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी।
कहा जा रहा है कि डिजिटल इंडिया बिल में विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन माध्यमों को वर्गीकृत किया जा सकता है। वर्गीकरण के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि केंद्र विभिन्न प्रकार के मध्यस्थों के लिए विशिष्ट नियम निर्धारित करना चाहता है। इसी के तहत फैक्ट चेक करने वाले प्लेटफॉर्मों को सरकार से पंजीकरण लेना ज़रूरी किया जा सकता है।
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है, ‘मंत्रालय विधेयक का मसौदा तैयार करने के अंतिम चरण में है। फैक्ट चेक करने वालों के लिए इस बात पर विचार किया जा रहा है कि उन्हें सरकार के साथ पंजीकृत किया जाना चाहिए।’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ‘नॉन-लिगेसी’ फैक्ट चेक करने वालों को पंजीकृत नहीं करने की भी योजना है।’
अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल इंडिया बिल का मसौदा जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में जारी किया जा सकता है।