लायब्रेरी का है बड़ा महत्त्व लेकिन वर्तमान समय में नागपुर की मुस्लिम लायब्रेरी है सील मुस्लिम समुदाय लायब्रेरी के लाभों से वंचित,डॉ एम ए रशीद, नागपुर

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ऐसा सुना और कहा जाता है कि किताबें इन्सानों की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं । किताबें विभिन्न परिस्थितियों में इंसानों की सहायता बनती हैं । लायब्रेरी में जाकर लोग किताबों के माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं । इस प्रकार लायब्रेरी बौद्धिक एवं साहित्यिक अभिवृद्धि का स्थान बन जाती है। लायब्रेरी में ही मानवीय ज्ञान तथा अनुभवों की निधि प्राप्त होती है । अर्थात वह नवीन ज्ञान की खोज का केंद्र होती है और वहां अनमोल पुस्तकें अनेक महान चिंतकों , विद्वानों के अनुभवों पर आधारित संग्रह होतै हैं । यह संग्रह भौतिक तथा आध्यात्मिक विकास में उल्लेखनीय सहयोग प्रदान करते हैं।
दूसरी ओर लायब्रेरी का प्रमुख उद्देश्य होता है कि वह ज्ञान अर्जन करने वालों के लिए पढ़ने की सामग्री उपलब्ध कराए और पाठकों को पोषित भी करे । जिन क्षेत्रों में लायब्रेरियां नहीं हों तो फिर वहां सामाजिक , शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा सकता । अब तो इस से भी अधिक आज पाठकों के लिए समृद्ध संसाधनों से भरे जीवन्त , गतिशील और ई लायब्रेरी की आवश्यकता बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। नागपुर में मुस्लिम समुदाय के लिए ऐसी लायब्रेरी समय की आवश्यकता है।
किताबों और लायब्रेरी का जीवन में बहुत महत्व है। उनके द्वारा सभी प्रकार की प्रगति के द्वार दुर्लभ पुस्तकों की शिक्षाओं से खोले जाते हैं। यही लायब्रेरी ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने का मुख्य साधन बन जाती हैं। यह सिद्ध है कि ज्ञान एक क़ीमती प्रकाश की हैसियत रखता है। ज्ञान मानवता का गहना है। ज्ञान वैध और नाजायज़ के बीच का अंतर दिखाता है। ज्ञान विकास का स्रोत है, सफलता की कुंजी है और नेतृत्व के लिए पहला कदम है। ज्ञान से ही संसार की शोभा बढ़ाई जा सकती है। संसार की सारी सफलताएं इसी ज्ञान पर आधारित होती हैं। ज्ञान ही से परलोक के सुख को प्राप्त किया जा सकता है।
अगर हमारे पास ज्ञान है तो मानो हमारे पास सब कुछ है और अगर हमारे पास ज्ञान नहीं है तो हमारे पास अंधकार के सिवा कुछ भी नहीं ।
मतभेदों से भरी आज की दुनिया में हम जिधर भी देखें अंतर नज़र आता है। ये मतभेद हर घर, हर व्यक्ति और हर समाज में दिखाई देते हैं , क्योंकि जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां असहमति न हो। इस मतभेद, अंतर की समस्या को सक्षम ज्ञान ही दूर कर सकता है। इसलिए पुस्तकों से मित्रता, ज्ञान का प्रेम और लायब्रेरी की स्थापना कर इसे आबाद रखने का बौद्धिक और व्यावहारिक प्रयास जीवित इंसानों का प्रतीक होता है ।
किताबों को मित्र बनाकर उनसे बौद्धिक और आध्यात्मिक संबंधों को बल मिलता है और ज्ञानी लोग जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं। कोई अगर शिक्षा प्राप्त नहीं करता और शिक्षा से दूर रहना तो उस के विकास के दरवाजे बंद हो जाने , वह जाहिल और अज्ञानी बन जाता है । ये अज्ञानी घर , परिवार और समाज के लिए बड़ा खतरा बन जाते हैं। अज्ञानी और अंधकार भरे जीवन को दूर करने के लिए तो नवीन लायब्रेरियों को स्थापित करने की अत्यधिक आवश्यकता है । ऐसी दशा में पुरानी लायब्रेरी के संरक्षण का महत्व तो और भी अधिक बढ़ जाता है । यदि उन पर ध्यान नहीं दिया गया तो परिणाम हमारी आँखों के सामने है कि नागपुर महानगर पालिका ने लीज़ का माध्यम बनाकर ” मुस्लिम लायब्रेरी” को सील कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस लायब्रेरी की स्थापना सन् 1928 ई में की गई थी। अब यदि इस लायब्रेरी को खोला नहीं गया तो बहुमूल्य ज्ञान की पूँजी कीड़ों, मकड़ियों और दीमकों के संपर्क में आ कर नष्ट हो जाएगी ।
जमाअ़त ए इस्लामी हिंद नागपुर तथा अन्य मुस्लिम समुदाय की विभिन्न संस्थाओं में जमिअत उल्मा नागपुर , तक़िया महबूब शाह कमेटी एवं बहुउद्देशीय संस्था , याक़ूबिया मदरसा कमेटी आदि के साथ डॉ मोहम्मद शरफ़ुद्दीन साहिल मिल कर एक पत्र नगर पालिका आयुक्त और प्रशासन को देने जा रही हैं । इसमें यह मांग की जा रही है कि “मुस्लिम लायब्रेरी” को खोला जाए और ट्रस्ट के नवीन रूप से निर्वाचित सदस्यों को निस्वार्थ भाव से चलाने का अवसर दिया जाए । यह जानना आवश्यक है कि इस स्थान को नगरपालिका ने अपना कब्ज़ा कर उसे सील कर दिया है। महानगर पालिका ने अपनी इच्छा जताई है कि वह यहां भव्य आधुनिक ई – लायब्रेरी बनाना चाहती है। जबकि नगर पालिका के साथ ही “मुस्लिम लायब्रेरी ट्रस्ट” के नवनिर्वाचित सदस्य लायब्रेरी चलाने के इच्छुक दिखाई दे रहे हैं। मुस्लिम लायब्रेरी ट्रस्ट लगभग पिछले सौ साल से इस मुस्लिम लायब्रेरी को चला रहा था । मौजूदा स्थिति में दोनों का उद्देश्य एक समान है । ऐसी स्थिति में दोनों को आपसी सहमति और मिलजुल लायब्रेरी बनाना और चलाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। इस मामले को लेकर मुस्लिम समुदाय बहुत चिंतित है कि आखिर शिक्षा की दृष्टि से इस मुख्य स्थान की लीज़ बढ़ाने की बजाय उसे सील कर दिया गया। मुस्लिम समुदाय इस के प्रति अत्यधिक बैचेन है कि मुस्लिम लायब्रेरी शीघ्र आरंभ की जाए। यह भी जानना आवश्यक है कि मुस्लिम लायब्रेरी से क्षेत्रीय नागरिकों का आत्मीय संबंध है। इस शैक्षणिक संस्थान ने लायब्रेरी के रूप में नागरिकों के शैक्षणिक योग्यताओं को बढ़ाया भी है और उन्हें प्रोत्साहित भी किया है । इसे जारी रखे , शीघ्र ही खोले जाने के लिए और निस्वार्थ भाव से उसे चलाने के पक्ष में मुस्लिम लायब्रेरी ट्रस्ट ने अपनी इच्छा भी जताई है ।