छात्र नेता मसूद अहमद को मंगलवार को UAPA (गैरकाननूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम ) मामले में जमानत दे दी गई है। उसे मलयाली पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और अन्य के साथ अक्टूबर 2020 में गंभीर आरोपों के तहत हाथरस में गिरफ्तार किया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ED मामले में मसूद को जमानत दे दी थी, लेकिन UAPA मामले में जमानत नहीं मिलने के कारण उसे रिहा नहीं किया गया था।जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र और पत्रकारिता स्नातक मसूद अहमद को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया और UAPA के तहत जेल में डाल दिया। मामले में आरोपी मलयाली पत्रकार सिद्दीकी कप्पन, छात्र नेता अतीक रहमान और वाहन चालक मुहम्मद आलम को पहले UAPA मामले और ED मामले में जमानत पर रिहा किया गया था। उन्हें 5 अक्टूबर, 2020 को उस दलित महिला के घर जाते समय गिरफ्तार किया गया था, जिसके साथ हाथरस में उच्च जाति के पुरुषों पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगा था और उसकी हत्या भी कर दी गई थी। गिरफ्तारी के एक दिन बाद उन पर देशद्रोह और यूएपीए के आरोप लगाए गए, क्योंकि यूपी के योगी सरकार ओर से दावा किया गया था कि वो राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़काने के लिए उनकी सरकार के खिलाफ ‘साजिश’ रच रहा था।मसूद, अतीक और पीड़ित परिवार के साथ एकजुटता बढ़ाने के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), एक छात्र मंच (जिसका वो दिल्ली राज्य सचिव है) के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहा था। इसी मामले में एक अन्य छात्र नेता और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के पूर्व राष्ट्रीय सचिव रऊफ शरीफ को भी गिरफ्तार किया गया था। अपने दोस्त और पार्टी के साथी सदस्य अतीक के खाते में महज 5 हजार रुपये ट्रांसफर करने के आरोप में उन्हें 33 महीने जेल में बिताने के बाद रिहा कर दिया गया। जामिया मिलिया की कैंपस राजनीति और CAA विरोधी आंदोलन में मसूद की सक्रिय उपस्थिति थी। उसने वंचितों के लिए कई सामुदायिक उत्थान कार्यक्रमों के लिए भी स्वेच्छा से काम किया था। सामाजिक कार्य के अलावा वो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था। हालांकि अदालत ने जमानत दे दी है, लेकिन उनकी रिहाई की तारीख अभी तक ज्ञात नहीं है। इस प्रक्रिया में पहले के मामलों की तरह कई सप्ताह भी लग सकते हैं।