मणिपुर हिंसा, हैवानियत का नंगा नाच महिलाओं को पहले निर्वस्त्र कर घुमाया, फिर किया गैंग रेप

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अनुसूचित जनजाति में मैतेई को शामिल करने के कथित कदम के विरुद्ध अखिल जनजातीय छात्र संगठन मणिपुर द्वारा ‘जनजाति एकजुटता रैली’ आयोजित किये जाने के बाद हिंसा बढ़ गई। ये पूरा घटनाक्रम मई के पहले सप्ताह की हैं जबकि दो महीने बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं।

इम्फाल: पूर्वोत्तर मणिपुर पिछले दो महीने से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा हैं। दो समुदायों के बीच उठी हिंसा की आग से अबतक सैकड़ो स्थानीय लोगों की मौत हो चुकी हैं। केंद्र सरकार क्षेत्र में शान्ति के लिए बड़े अफसरों को इलाके में डेप्यूट कर चुकी हैं। इंटरनेट के साथ यातायत सेवायें प्रभावित हैं और गृहयुद्ध के बीच जनजीवन अस्त-व्यस्त हैं। (Manipur violence now taking communal color) सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि इतने लम्बे खींचे इस हिंसा ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भी मणिपुर हिंसा की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की जा रही हैं और केंद्र की सरकार की नाकामी को उजागर किया जा रहा है। खुद भारत के भीतर ही मणिपुर की हिंसा को लेकर सियासत तेज हैं। विपक्ष हर मंच से इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश में जुटा लेकिन कोई खास जवाब नहीं मिल पा रहा हैं। इस तरह इस मैतेई और कुकी समुदाय के बीच लगी इस आग को न ही केंद्र सरकार बुझा पा रही है न ही वहां मौजूद स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बल। बावजूद इसके कि यह हिंसा हर दिन उग्र होती जा रही हैं। दोनों ही गुट के उपद्रवी लाखों रूपये की संपत्ति को आग के हवाले कर चुके हैं, लेकिन इन सबके बीच अब जो खबरें मणिपुर से निकल कर आ रही हैं वह हैरान करने वाली हैं। सवाल उठाने लगे हैं कि क्या मणिपुर की हिंसा की वजहों ने दिशा बदल ली है? जिस हिंसा का आधार सामुदायिक था क्या वह अब साम्प्रदायिक हो गया? आखिर क्यों मणिपुर में महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा हैं?

सामने आया हैरान कर देने वाला वीडियों

इसी बीच मणिपुर से एक बेहद हैरान कर देने वाला वीडियों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा हैं। वीडियो में नजर आ रहा हैं कि उन्मादी भीड़ के बीच एक महिला नग्न अवस्था में है। (Manipur violence now taking communal color) उग्र भीड़ उसे जकड़े हुए हैं और आगे बढ़ रहे हैं। सोशल मीडिया की माने महिला के साथ ज्यादती की वजह साम्प्रदायिक थी। कथित तौर पर ईसाई धर्म की महिलाओं के साथ इस पूरे कृत्य को अंजाम दिया गया।

प्रताड़ना के बाद बलात्कार

सोशल मीडिया के हवाले से मिली खबर के मुताबिक़ भीड़ ने ना सिर्फ उन्हें पूरे इलाक़ में निर्वस्त्र करके घुमाया बल्कि उसके साथ बलात्कार की घटना को भी अंजाम दिया गया। बताया जा रहा हैं कि रेप और पिटाई के बाद महिलायें न ही देख पा रही हैं और न ही बोल पा रही हैं। बताया जा रहा है कि दोनों महिलाये कुकी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। वही उन्मादी भीड़ मेतई समुदाय से संबंधित हैं। सोशल मीडिया की खबरों के मुताबिक़ उन्मादी भीड़ में ज्यादातर ऐसे हिन्दू शामिल थे जो इस पूरे हिंसा की दिशा को बदलने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या मणिपुर की हिंसा जातीय से सांप्रदायिक हो चुकी हैं? इस पूरे घटनाक्रम की पुष्टि इस बात से भी होती हैं कि कांग्रेस नेता अलका लाम्बा और मीडिया प्लेटफॉर्म चायपानी की संस्थापक श्रुति चतुर्वेदी ने इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र अपने ट्विटर पर किया हैं।

क्या बहुसंख्यवाद को मिल रहा बढ़ावा?

पिछले दिनों जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के दौरे पर थे तो उस दौरान दुनियाभर में मणिपुर को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही थी। यूरोपीय संघ ने भारत के मानवाधिकार की स्थिति पर गहरी चिंता भी जाहिर की। उन्होंने आरोप लगाया गया है कि मणिपुर में अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के चलते ताज़ा हिंसा के हालात पैदा हुए हैं। (Manipur violence now taking communal color) चिंता ज़ाहिर की गई है कि राजनीति से प्रेरित विभाजनकारी नीतियों से इस इलाक़े में हिंदू बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के चलते मणिपुर में हिंसा के हालात पैदा हुए हैं।

आखिर क्यों जल रहा मणिपुर?

दरअसल मणिपुर के गैर-जनजातीय मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की 10 वर्ष पुरानी अनुशंसा पर आगे की कार्रवाई करने के मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को दिए गए थे। इस निर्देश के बाद मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। अनुसूचित जनजाति में मैतेई को शामिल करने के कथित कदम के विरुद्ध अखिल जनजातीय छात्र संगठन मणिपुर द्वारा ‘जनजाति एकजुटता रैली’ आयोजित किये जाने के बाद हिंसा बढ़ गई। ये पूरा घटनाक्रम मई के पहले सप्ताह की हैं जबकि दो महीने बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं।